जब जनता जग गई देश की।
भारत तब आजाद हुआ है।।
क्रूर कंस द्वापर युग में था।
पिता कैद कर गद्दी बैठा।
सगी बहन को प्रेम भाव से-
करने चला विदाई वह था।
नभ से तब होगई गर्जना।
तेरी मृत्यु निकट है आई।
भरा जेल बसुदेव देवकी,
संतानों की उसने बलि ली।
गांव गांव मे जन्मे जो बालक,
की हत्या उसने करवाई।
जनता का आक्रोश बढ़ा था।
जन प्रतिनिधि तब कृष्ण जगा था।।
हुआ गुलाम देश मुगलों का।
राजाओ मे फूट बढ़ी जब।
क्रूर मुगल शासक बन बैठे।
अंग्रेजों ने शक्ति गही तब।।
क्रूर हुए अंग्रेज देश में,
व्यापारी बनकर थे आए ।
धीरे धीरे सत्ता ले ली,
मुगलों को थे धूल चटाये।।
अंग्रेजों ने कहर मचाये,
तब भारत की जनता जागी।
गांधी ने जनता को जोड़ा।
सत्याग्रह की अलख जगा दी।।
पहले युवा हुए आक्रोशित,
बम फोड़ा गोलियां चलाईं।
अंग्रेजों को नाच नचाया।
चला दिया भारत मे आंधी।।
किंतु क्रूर सत्ता ने रौंदा।
जेल भरे फांसी लटका दी।
गांधी को नेतृत्व दिया जब,
अभिनव रण का बिगुल बजा तब।।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई।
मिल कर रहो सभी हैं भाई।।
छुआ छूत का भेद मिटा दो।
आपस की एकता बढ़ा दो।।
सत्य अहिंसा का व्रत लेकर।
हिंसा रहित युद्ध करना है।।
सत्याग्रह को अस्त्र बनाकर
आजादी का रण लड़ना है।।
हंसे क्रूर शासक जब जाना।
इनकी नीति स्वयं मर जाना।।
पर बापू की गजब नीति थी।
सत्याग्रह की युद्ध नीति थी।।
हर आंदोलन ने जनता की आंखे खोलीं।
जुटने लगी क्रांति वीरो की शत शत टोली।।
अंग्रेजों की चली लाठियां, वीर खड़े थे।
लहू लुहान हुए पर उनमे धैर्य बड़ै थे।।
आए वीर सुबास,मालवीय,ज्ञानी ध्यानी।
जमींदार मजदूर मौलवी पंडित मानी।।
सबने आपस मे मिल कर रणनीति बनाई।
गांधी के पीछे मिल कर चलना है भाई।।
हर सत्याग्रह मे लाखों जन जुट जाते थे।
मारत माता की जय, झंडा लहराते थै।
गांधी ने तब त्याग विदेशी वस्त्र जलाये।।
वस्त्र स्वदेशी पहनेंगे चरखा चलवाये।।
हर काला कानून न मानूंगा तब बोले।
हर आंदोलन से सत्ता के छक्के छूटे ।।
जुट जाते थे लोग करोड़ो में, सड़को पर।
बलिदानी जत्थे गांधी के आवाहन पर।
आखिर में पंद्रह अगस्त का दिन था आया।
लालकिले पर भारत का झंडा लहराया।।
गूंज उठा पूरे भारत में जय जय नारा।
हर्ष हर्ष कह उठे तिरंगा जब लहराया।।
हम सब वीर शहीदो को श्रद्धांजलि देते।
जिंनके बल पर हमने आजादी पाई है।।
गांधी जी की नीति बनी भारत की आत्मा।
सत्य अहिंसा के बल पर मुक्ति पाई है।।
जय हिंद! वंदे मातरम्!!