लखनऊ। साल की सभी 24 एकादशियों में से इस एकादशी का महत्व सबसे ज्यादा है। यह व्रत बिना अन्न जल ग्रहण किए रखा जाता है, इसलिए इस व्रत को निर्जला एकादशी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 5 पांडवों में से एक भीम यानी कि भीमसेन ने भी अपने जीवनकाल में एक मात्र निर्जला एकादशी का व्रत रखा था, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। आइए आपको बताते हैं इस व्रत का महत्व और इस बार निर्जला एकादशी पर कौन से शुभ योग बन रहे हैं।
निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं, इस साल यह एकादशी 31 मई को है,
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