नए महानिदेशक कारागार की मुहिम रंग लाई
प्रभार संभालने के निगरानी रखने का दिया पहला निर्देश
राकेश यादव
लखनऊ। नए महानिदेशक कारागार की मुहिम रंग दिखाने लगी है। जेल मुख्यालय में लगे वीडियो वॉल और जेलों की सीसीटीवी फूटेज की रिपोर्ट पर तीन जेल अधीक्षक निलंबित कर दिए गए। यह मामला विभागीय अफसरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री स्तर से हुई इस कार्रवाई ने इस सच का खुलासा कर दिया। यह अलग बात है कि जेल मुख्यालय के अधिकारी इस गंभीर मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए।
बीती 30 मार्च को शासन ने पांच आईपीएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी की। इस सूची में महानिदेशक कारागार आनंद कुमार को सहकारिता और पावर कारपोरेशन में तैनात एसएन साबत को जेल विभाग में तैनात किया गया। इस आदेश के अनुपालन में एसएन साबत ने शनिवार को जेल मुख्यालय पहुंचकर डीजी जेल का प्रभार संभाल लिया। प्रभार संभालने के बाद नए डीजी जेल ने एआईजी और डीआईजी जेल के साथ बैठक की। इस औपचारिक बैठक में उन्होंने जेलों की व्यवस्थाओं पर विचार विमर्श किया। सूत्रों का कहना है कि नए महानिदेशक कारागार एसएन साबत ने प्रभार संभालने के तुरंत बाद ही मुख्यालय के डीआईजी को एक निर्देश दिया। इस निर्देश के तहत कहा गया है कि प्रदेश की जेलों में स्थापित CCTV कैमरों की क्रियाशीलता की प्रतिदिन रिपोर्ट मंगाई जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। इसके साथ ही जेेलों के खुलने के समय की अद्यतन रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में डीआईजी परिक्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत की जाए।
यह रिपोर्ट सुबह आठ बजे तक उपलब्ध कराई जाए। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। सूत्र बताते है कि नए डीजी जेल के निर्देश पर जब जेल मुख्यालय में लगे वीडियो वॉल और जेलों में लगे CCTV की फूटेज रिर्पोट में कई चौंकाने वाली बाते सामने आई। चित्रकूट औ बरेली जेल में सनसनीखेज घटनाएं होने के बाद भी जेलों की व्यवस्था में कोई सुधार देखने को नहीं मिला। रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ। वीडियो वॉल और CCTV की रिपोर्ट को शासन को भेज दिया गया। इस रिपोर्ट के शासन पहुंचने के कुछ समय बाद ही मुख्यमंत्री के निर्देश पर केंद्रीय कारागार नैनी, जिला कारागार बरेली और बांदा जेल के वरिष्ठï अधीक्षकों को निलंबित कर दिया गया। कार्रवाई को लेकर विभागीय अफसरों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। उधर इस संबंध में जब जेल मुख्यालय के डीआईजी एके सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। एक अन्य अधिकारी ने डीजी जेल के जेलों के सीसीटीवी व वीडिया वॉल पर निगरानी रखे जाने के निर्देशों की पुष्टिï जरूर की लेकिन और कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया।
घटनाओं के बाद भी नहीं हुई लखनऊ में कोई कार्रवाई
विदेशी कैदी समेत चार बंदियों की गलत रिहाई, सनसाइन सिटी की पावर ऑफ अर्टानी जेल के बाहर जाने, जेल से कैदियो की फरारी, बंदियों की पिटाई से बंदीरक्षक की मौत, ढाका से बंगलादेशी बंदियों की फंडिंग सरीखे तमाम सनसनीखेज घटनाएं होने के बाद भी लखनऊ जेल अधीक्षक के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऊंची पहुंच और जुगाड़ की बदलौत पिछले करीब साढ़े तीन साल से अधीक्षक इसी जेल पर जमे हुए है। ऐसा तब है जब जेल में एक मामली सी घटना होने पर अधीक्षक का हटा दिया जाता है। बांदा जेल में सिर्फ अधीक्षक के प्रभार नहीं संभालने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इस जेेल में सनसाइन सिटी मामले का खुलासा होने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए जांच अधिकारी डीआईजी को ही बदल दिया गया।