18 सेकेंड में 20 गोली, प्रयागराज में हो गई खून की होली

  • ‘जय श्रीराम’ के नारे से उपज रहे आशंका के बीज
  • कहीं योगी के ख़िलाफ़ बड़ी साज़िश की तैयारी तो नहीं…

भौमेंद्र शुक्ल


लखनऊ । दिन था शनिवार और तारीख़ थी 15 अप्रैल 2023 की। देर शाम के 10 बजकर 35 मिनट हुए थे, मीडिया वालों का रूप धरकर पहुँचे तीन सिरफिरे युवकों ने आतंक का प्रतीक बन चुके अतीक को अतीत बना दिया। सवाल उठता है कि उन लोगों ने भागने की कोशिश क्यों नहीं की? उनमें से किसी ने पुलिस वालों पर गोलियाँ क्यों नहीं बरसाईं? क्या अतीक ही उनका टारगेट था? आख़िर गाड़ी से उतरते हुए अतीक ने किसे इशारा किया? इन सभी सवालों के पीछे कई सवाल छुपे हुए हैं। लेकिन नीयति का खेल देखिए प्रयागराज में 44 बरसों से आपराधिक दास्तान लिखने वाले अतीक की कहानी एक मिनट से भी कम समय में खत्म हो गई। अतीक और अशरफ को 18 सेकेंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया गया। कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पुलिस सुरक्षा घेरे में हुई हत्या ने उत्तर प्रदेश पुलिस और उसकी कानून-व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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वैसे 24 फरवरी 2023 को जब बहुजन समाज पार्टी (BSP) विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या हुई तो दबी जुबां यह चर्चा ज़रूर थी कि योगी माफ़िया को मिट्टी में मिला देंगे। लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि दो महीने के भीतर ही उसका सर्वनाश हो जाएगा। 14 अप्रैल से लेकर 16 अप्रैल की रात तक सब कुछ खत्म हो गया। सबसे पहले अतीक के लाड़ले असद को झांसी में गुरुवार को एसटीएफ ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया। उसके साथ उसका शार्प शूटर गुलाम भी मारा गया था। जिस दिन दोनों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया, उसी दिन अतीक और अशरफ़ गोलियों का शिकार होकर जहन्नुम के लम्बे सफ़र पर निकल पड़े। प्रयागराज के एक पत्रकार कहते हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इशारे पर यह हत्या हुई होती तो मारने वाले ‘जय श्रीराम’ का नारा न लगाते? यदि यह सही है तो अतीक की हत्या के पीछे कौन हो सकता है? क्या अतीक के इकबालिया बयान से किसी की राजनीतिक फ़िज़ा बिगड़ सकती है? क्या अतीक के साथ कोई और बदनाम हो सकता है? यदि ऐसा है तो वो कौन है और क्यों उसने मीडिया के सामने अतीक को हलाक करवाया? वह बताते हैं कि अतीक पर हत्या, अपहरण, वसूली, हमला और जमीन कब्जा समेत 102 आपराधिक मामले दर्ज थे। 17 साल की वय में हत्या जैसी वारदात को अंजाम देकर सनसनी मचाने वाले अतीक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो वह आगे बढ़ता ही गया। एक के बाद एक हत्या, अपहरण, जमीन पर कब्जा, हत्या के प्रयास सरीखी सौ से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले अतीक का जलवा बड़े सफ़ेदपोश के रूप में था। उसने क्षेत्रीय दलों की सरकारों को अपनी अंगुलियों पर खूब नचाया। सवाल उठता है क्या अतीक की हत्या कराकर योगी की छवि को बिगाड़ने की कोशिश तो नहीं करवाई जा रही? देश में तेज़ी से चर्चित हो रहे यूपी के सीएम को पार्टी में भी बदनाम करने की गहरी साज़िश तो नहीं रची जा रही।

वहीं राजधानी लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और क्राइम की ख़बरों के जानकार डीपी शुक्ल इसे पुलिस और सिस्टम का फेल्यौर बताते हैं। वह कहते हैं कि इस बार मीडिया पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। आख़िर न्यायिक हिरासत में क़ैद आरोपी से बयान लेने की छूट किस अदालत ने दी थी, जो मीडिया के लोग पहुँच गए थे। वहीं जिस सूबे की क़ानून-व्यवस्था का ढिंढोरा पूरी दुनिया में पीटा जा रहा है, वहाँ की पुलिस इतनी नाकाम होगी। हालाँकि देवरिया के विधायक और प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने यूपी पुलिस का ज़बरदस्त पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि कई बार अचानक ऐसे हालात बन जाते हैं कि पुलिस नाकाम हो जाती है। मतलब साफ़ कि ऐसे हालात के लिए पुलिस नहीं बनी है। पुलिस केवल और केवल ‘सफेदपोशों’ की सुरक्षा के लिए सजावटी सामान की तरह पेश करने के लिए बनी है। बाक़ी बचे केवल फ़र्ज़ी मुक़दमों और जाँच के नाम पर पैसा उगाहने के लिए बने हैं।

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राजनीति के जानकार कहते हैं कि यह हत्या पाकिस्तान और पंजाब कनेक्शन के चलते भी हो सकता है। एक इंसान इतना आगे निकल गया कि देश की सारी एजेंसियाँ फेल हो गईं? वो यह पता नहीं लगा सकीं कि भारत के दहशतगर्त पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से इतनी बड़ी संख्या में हथियार मंगा रहे हैं। कुछ लोगों ने ‘डी’ कम्पनी के कनेक्शन की ओर भी इशारा किया। सवाल उठता है कि अतीक के मसले में केंद्र सरकार और उसकी सारी एजेंसियाँ फेल्योर हुईं और वह अपना साम्राज्य बढ़ाता गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि अतीक अपने आतंक के पीछे जमीनें हड़पना और बिल्डरों की कंपनियों में खपाने का खेल खेलता था। शायद यही वजह है कि योगी सरकार में अतीक के आर्थिक साम्राज्य पर लगातार चोट पड़ने और 12 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त किए जाने के बाद भी उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा था।

मुख्य शूटर लवलेश को लगी गोली? शक को बना रही पुख्ता

पूर्व सांसद/बाहुबली अतीक अहमद एवं पूर्व विधायक अशरफ अहमद की कल रात पुलिस की अभिरक्षा में हुई सनसनीखेज हत्या में अब एक नई खबर सामने आई है कि मुख्य शूटर बांदा के लवलेश तिवारी को गोली लगी है, उसे अस्पताल ले जाया गया है। लवलेश को गोली लगने की बात का पुलिस की FIR में उल्लेख किया गया है। लवलेश को गोली कब लगी, कहां लगी, उसकी हालत कैसी है इस पर पुलिस फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। यह अभी रहस्य बना हुआ है कि क्या लवलेश को किसी शूटर द्वारा चलाई गई गोली लगी या किसी पुलिसकर्मी की गोली लगी? सबसे बड़ी बात यह है कि कल रात जब शूटरों को पकड़ा गया था तब ऐसी कोई बात सामने नहीं आई थी। लेकिन यह खबर पक्की है कि लवलेश को गोली लगी है और उसे अस्पताल ले जाया गया है।

बुंदेलखंड अतीक के लिए रहा मनहूस

श्रावस्ती छोड़कर प्रयागराज के हो चुके अतीक को यह पता नहीं था कि एक दिन बुंदेलखंड उनके लिए नासूर बन जाएगा। उसकी हत्या में शामिल दो आरोपी (लवलेश तिवारी और अनूप मौर्य) क्रमशः बाँदा और हमीरपुर के निवासी निकले। यह दोनों जिला बुंदेलखंड में आता है। वहीं उसके लाड़ले का एनकाउंटर जिस जगह हुआ, वह बुंदेलखंड की राजधानी झाँसी ही है।

योगी ने दिया ज़ोर का झटका, पिछले दरवाज़े से निकले पुलिस के आलाधिकारी

सीएम योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास (5KD) पर रविवार चली मैराथन मीटिंग के बाद खबरनवीसों को पुलिस अधिकारियों का इंतज़ार था, लेकिन वह मुख्यमंत्री आवास के पिछले कमरे से निकले। आशंका जताई जा रही है कि कुछ बड़े अफ़सर भी योगी की नाराज़गी का शिकार हो सकते हैं। चर्चा है कि शाम तक किसी और अफ़सर को प्रयागराज का कमिश्नर बनाया जा सकता है। सीएम वर्तमान कमिश्नर से ख़फ़ा हैं। ख़बर है कि प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद और डीजीपी आरके विश्वकर्मा विशेष विमान के क़रीब पाँच बजे प्रयागराज जाएँगे। इसके पहले बड़ी चूक के ज़िम्मेदार 17 पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री सस्पेंड कर चुके हैं।

माफिया अतीक और अशरफ की जिंदगी के आखिरी घंटे  

रात 8.30 : धूमनगंज पुलिस थाने से अतीक व अशरफ को कस्टडी में लेकर कसारी-मसारी ले गई और असलहा बरामद की।

9.45 : अतीक व अशरफ को धूमनगंज थाने वापस लाया गया।

10.25 : धूमनगंज पुलिस अतीक व अशरफ को लेकर मोतीलाल नेहरू हॉस्पिटल (काल्विन अस्पताल) पहुंची।

10:30 : पुलिस सुरक्षा में चल रहे अतीक -अशरफ के आगे मीडिया वालों ने माइक बढ़ाया, सवाल पूछा..अ तीक-अशरफ ने जवाब दिए अतीक और अशरफ के आखिरी शब्द–नहीं ले गए तो नहीं गए..अशरफ के आखिरी शब्द-मेन बात ये है की गुड्डू मुस्लिम…..गुड्डू मुस्लिम का नाम लेने के बाद चली गोली।

10:32 :  पर हत्या

10:32 : दोनों (अतीक-अशरफ) गिर पड़े। हमलावरों ने हाथ उठाकर समर्पण कर दिया.

10:33: पुलिस ने हमलावरों को धर दबोचा।

10:33 :  भगदड़ मची।

10:34 : नीचे गिरे अतीक और अशरफ।

10:36 : मौत की पुष्टि।

10.45 : एसीपी आकाश कुलहरि अस्पताल पहुंचे।

11:00 :  पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा काल्विन अस्पताल पहुंचे।

12:00 : अतीक -अशरफ के शव को मोर्च्युरी पहुंचाया गया।

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