एक मजबूत सांस्कृतिक और शाही वंश से रिश्ता रखनेवाले उद्यमी और भारत के कपूरथला शाही परिवार के सदस्य, अमर सिंह वर्षों से भारत के LGBTQ आंदोलन के पथप्रदर्शक रहे हैं। भारत के LGBTQ समुदाय में ‘कन्वर्ज़न थेरेपी ‘ (दुर्भाग्य से अभी भी हमारे समाज में प्रचलित ) को समाप्त करने और 2018 में भारत में धारा 377 कानून को हटाने के उद्देश्य से,जिसने समलैंगिकता को अपराध घोषित किया, भारतीय शाही कार्यकर्ता ने दुनिया को एक स्पष्ट संदेश भेजा है। 34 वर्षीय यूके में जन्मे हार्वर्ड ग्रेजुएट कपूरथला के अमर सिंह ने वह पूर्व कपूरथला सिंहासन के लिए 16 वें स्थान पर हैं अमर गैलरी की स्थापना की जहाँ वे LGBTQ और महिला अधिकारों के कारणों को अपनी गैलरी के माध्यम से भी उजागर करने की उम्मीद करते हैं । वह एक सक्रिय परोपकारी भी हैं और उन्होंने मैकमिलन कैंसर सपोर्ट और मुहम्मद अली फाउंडेशन के लिए धन जुटाया है।
LGBT और महिलाओं के अधिकारों के प्रबल समर्थक, 34 वर्षीय अमर ने दुनिया भर में महिलाओं और LGBTQ के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के अपने रिसोर्सेज के माध्यम से अपने मिशन का समर्थन किया। इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने 2025 तक दुनिया भर के संग्रहालयों को महिलाओं और LGBTQ कलाकारों द्वारा $5 मिलियन मूल्य की कला देने का भी वादा किया, और कला के इस मूल्य को दो साल से कम समय में पहले ही दान कर चुके हैं। जहां ज्यादातर लोगों ने लॉकडाउन में घर के काम करने, किताबें पढ़ने और अपनी पसंदीदा वेब सीरीज देखने में समय बिताया, वहीं अमर ने भारत में कन्वर्ज़न थेरेपी को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस बनाने के लिए इस समय का इस्तेमाल किया। ऐसा करने पर, अमर ने समर्थन के लिए ह्यूमन राइट्स वॉच, संयुक्त राष्ट्र और विश्व मनश्चिकित्सीय संघ सहित प्रमुख अधिकारियों से संपर्क किया।
अपनी अथक खोज में, अमर ने LGBTQ समुदाय के सदस्यों से भी बात की, जिसमें छात्र, शिक्षाविद और लॉमेकर्स शामिल थे, ताकि उनके रिकॉर्ड के सबूत मिल सकें। अमर को रविकांत के नामक एक मानवाधिकार वकील मिले , जो अपना पहला LGBTQ मामला लेने के लिए तैयार हो गए । रवि ने अपना जीवन महिलाओं के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण मामले जीते। चूंकि अमर भारतीय नागरिक नहीं है, इसलिए वह अपने मित्र राजकुमार मानवेंद्र के पास पहुंचे और उसे भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में मामले का प्रमुख याचिकाकर्ता बनने के लिए कहा। LGBTQ अधिकारों के लिए लड़ाई अभी बाकी है, और अमर सिंह कॉंफिडेंट हैं, क्योंकि अब वह सकारात्मक सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं!