नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोक प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से संवेदनशीलता बढ़ेगी और लोकसेवा पूर्णता को प्राप्त कर सकेंगी। धनखड़ ने यहां 16वें सिविल सेवा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसेवाकों को से केंद्र और राज्यों में प्रशासन में एकरूपता लाने का प्रयास करना चाहिए। इससे संघवाद सहकारी संघवाद का रुप प्राप्त कर सकेगा। लोक सेवकों को शासन की रीढ़ करार देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने में लोकसेवकों की भूमिका को महत्वपूर्ण है। लोकसेवक‘परिवर्तन के सबसे दृश्यमान और प्रभावी वाहक’ है।
उन्होंने समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से दूरदराज के गांवों से युवा प्रतिभाओं, विभिन्न पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ हाशिए के समुदायों से बड़ी संख्या में लोक सेवाओं में बढ़ते प्रतिनिधित्व पर प्रशंसा व्यक्त की। लोक प्रशासन में महिलाओं की बढ़ती संख्या एक अधिक संवेदनशील और पूर्ण नौकरशाही का मार्ग प्रशस्त करेगी। उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष के सिविल सेवा दिवस की मुख्य विषयवस्तु‘विकसित भारत: नागरिकों को सशक्त बनाना और अंतिम मील तक पहुंचना’ भारतीय संविधान की प्रस्तावना का एक सच्चा प्रतिबिंब है जो सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को सुरक्षित करने का प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि अमृत काल में लोकसेवक वर्ष 2047 के योद्धा हैं। वे जो नींव रख रहे हैं, उस भारत को आकार देंगे जो अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा।
धनखड़ ने कहा कि भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और सरकार की सकारात्मक और अभिनव पहलों और नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन के कारण देश अवसरों और निवेश का वैश्विक गंतव्य है। उन्होंने कहा कि भारत की संसद लोगों की आवाज का प्रतीक है, और इसलिए आंतरिक और बाहरी दोनों खतरों से देश की संप्रभुता और सांस्कृतिक अखंडता की रक्षा करना संसद की जिम्मेदारी है। उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम के दौरान ‘राष्ट्रीय सुशासन वेबिनार श्रृंखला’ पर एक ई-पुस्तक का अनावरण किया। उन्होंने ‘भारत में सुशासन प्रथाएं- पुरस्कृत पहल’ पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। (वार्ता)