लखनऊ। विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय समाजशास्त्र परिषद का मिड टर्म अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: क्षेत्रों का समाजशास्त्र एवं क्षेत्रों में समाजशास्त्र, विषय पर आयोजित किया गया। जिसमें देश और विदेश से लगभग 900 से ज्यादा प्रतिभागियों और प्रोफेसरों ने प्रतिभाग किया। इसका शुभारंभ उद्घाटन समारोह शाम 6:30 से दीप प्रज्वलन तथा कुलगीत के साथ हुआ। तदुपरांत इस समारोह के सम्मानित मुख्य अतिथि गिरी संस्थान के डायरेक्टर प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने अपना व्याख्यान दिया।
इसके पश्चात समारोह को समाजशास्त्र परिषद की अध्यक्षा प्रोफेसर आभा चौहान सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ हिमाचल प्रदेश धर्मशाला और सचिव प्रोफेसर मनीष के वर्मा BBAU लखनऊ द्वारा संबोधित किया गया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि पटनायक (रिटायर्ड IAS) पूर्व कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय थे तथा की-नोट ऐड्रेस जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुरिंदर एस जोधका द्वारा दिया गया । प्रोफेसर जोधका जी ने बताया कि अंग्रेजी भाषा जो कि एक पहेली कि तरह है जो एक ओर तो वर्तमान समय में उच्च शिक्षा की मानक भाषा बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर अंग्रेजी भाषा अभिजात वर्ग द्वारा प्रतिस्पर्धा सीमित करके वंचित वर्गों को उसके विशेषाधिकारों के दायरे से बाहर कर देती है। अतः यह एक कुलीन रणनीति है।
उन्होंने ये भी बताया कि अंग्रेजी भाषा के व्यापक ज्ञान ने भारतीयों को वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रवेश करने में मदद की है। साथ ही अंग्रेजी भाषा बोलने वाले अभिजात वर्ग राजनीति में भी अपने आपको मजबूत करते हैं। अतः उन्होंने बताया कि शहरों में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव जाति एवं वर्ग गतिशीलता में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। सम्मेलन की अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय द्वारा की गई, जिन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए अग्रिम शुभकामनाएं दी। जबकि स्वागत व्याख्यान आयोजन सचिव प्रोफेसर DR साहू द्वारा दिया गया। सम्मेलन के अंत में धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन संयोजक प्रोफेसर सुकांत चौधरी के द्वारा ज्ञापित किया गया । इसके पश्चात देश-विदेश से आए हुए विद्वानजनों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया ।