बांदा जेल में प्रभार नहीं संभालने पर शासन ने की थी कार्रवाई
कारागार विभाग का अजब गजब कारनामा
आर के यादव
लखनऊ। कारागार विभाग के एक अधिकारी को मुख्यमंत्री ने आदेश देकर निलंबित करा दिया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलंबित हुए इस अधिकारी को जेलमंत्री ने बहाल करा दिया। सुनने में यह बात आपको भले ही अटपटी लग रही हो किंतु यह बात बिल्कुल सच साबित हुई है। इसकी पुष्टि विभाग के दस्तावेजों से की जा सकती है। यह अलग बात है कि विभाग के आला अफसर अब इस मसले पर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश को बांदा जेल में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के निरुद्ध होने के बाद से इस जेल पर जाने को विभाग का कोई अधिकारी तैनात नहीं हो रहा था। इस जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक को शासन के साथ जेल मुख्यालय में कसमकस चल रही थी। पूरे प्रदेश में इस जेल पर तैनाती के लिए अधिकारी की खोज चल रही थी। सूत्रों का कहना है बांदा जेल में तैनाती के लिए जेल मुख्यालय में बीते दिनों तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, डीजी जेल और अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई। बैठक में बांदा जेल पर तैनाती के लिए एक अधिकारी का चयन किया गया। इस अधिकारी से बैठक में मौजूद वरिष्ठ अधिकारी से चयनित अधिकारी की बात कराई गई। इसके बाद उस अधिकारी को आनन फानन में बांदा जेल पर तैनात किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया।
शासन के वरिष्ठ अधिकारी से सहमत होने के बाद भी यह अधिकारी स्थानांतरित बांदा जेल में प्रभार संभालने के बजाए मेडिकल पर चला गया। यह बात शासन के वरिष्ठ अधिकारी को नागवार लगी। अधिकारी ने इसकी सूचना मुख्यमंत्री को दी। मुख्यमंत्री ने आदेश का अनुपालन नहीं करने वाले अधीक्षक को तत्काल निलंबित करने का निर्देश दिया। अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि निलंबित अधीक्षक बहाली की जुगत में लग गया। करीब चार माह तक निलंबित रहने वाले इस अधिकारी को जेलमंत्री ने बहाल करा दिया। निलंबन से बहाल हुए इस अधिकारी को जेलमंत्री ने एक ऐसी सामान्य जेल पर तैनात करा दिया जैसे विभागीय अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लग पाई।
मामले पर जेलमंत्री ने साधी चुप्पी
बांदा जेल में स्थानांतरित अधीक्षक के प्रभार नहीं संभालने पर निलंबित किए गए अधीक्षक की बहाली के संबंध में जब प्रदेश के कारागार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार )धर्मवीर प्रजापति से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया तो पहले तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। भेजे गए मैसेज को देखने के बाद मंत्री ने कोई जवाब ही नहीं दिया।