- नहीं शुरू हुआ दूसरा काउंटर
- नेपाल में भारतीय वाहनों से लूट खसोट जारी, नेपाल जाने से कतरा रहे भारतीय वाहन चालक
उमेश तिवारी
नौतनवा/महराजगंज। रोटी बेटी का नारा बुलंद करने वाला भारत का सबसे खास व करीबी पड़ोसी राष्ट्र नेपाल कहने को तो मित्र राष्ट्र का दर्जा ले लिया है, मगर मित्रता का एक भी पहलू ठीक ढंग से नहीं निभा पा रहा है, एक तरफ नेपाल से भारत की तरफ आने वाले नेपाली वाहन बिना किसी रोकटोक के बेधड़क भारत के नजदीकी बाजारों में बिना किसी कागजी खानापूर्ति के आ जा रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ भारत से नेपाल में जाने वाले वाहनों को सुविधा के नाम पर घण्टों लाइन में लगवाया जाता है।
यही नही भंसार के नाम पर भंसार गेट पर दलालों का बोल बाला है, आम भारतीयों को घण्टो इंतजार के बाद भागमभाग करना पड़ता है, सुबह के 8 बजे पहुंचे तो पेपर वर्क में 11 बज जाते हैं । इस तरह आधा दिन भंसार पर ही निकल जाता है, जिससे भारतीय वाहन स्वामियों का आर्थिक रूप से भारी नुकसान होता है, वहीं दूसरी तरफ भंसार कार्यालय में एक ही काउंटर होने की वजह से भीड़ की लंबी लाइन देखने को मिलती है, जबकि भंसार पर सरकारी कर्मियों से सेटिंग करने वाले दलालों का पूरा बोलबाला है। इस सम्बंध में भारतीय सीमा क्षेत्र के नेताओं व जनप्रतिनिधियों ने कई बार पहल की मगर नेपाल प्रशासन के कानों पर जू तक नही रेंगा, अगर कुछ मिला तो सिर्फ आश्वासन, बीते 2022 में इसी समस्याओं को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता जितेन्द्र जायसवाल और भाजपा नेता कन्हैया गुप्ता सहित भाजपा मंडल उपाध्यक्ष प्रेम जायसवाल ने भारतीय पत्रकारों के साथ सिद्धार्थ नगर के मेयर इश्तियाक अहमद खान से वार्ता की थी, उस समय भारतीय जनप्रतिनिधियों को आश्वासन दिया गया कि रोजाना दो सुविधा काउंटर एवं शनिवार व रविवार को तीन से पांच सुविधा काउंटर खोला जाएगा, मगर कई माह बीत जाने के बाद भी नेपाल भंसार पर दूसरा काउन्टर नहीं खोला जा सका।
कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत नेपाल की मित्रता व रिश्तेदारी में सिर्फ भारत ही अपना हक अदा करता रहा है, जबकि नेपाल अपनी ओछी सोच के कारण भारतीय वाहनों एवं भारतीय नागरिकों के हितों को लेकर कतई संजीदा नही है। नेपाली अधिकारियों के ढुलमुल नीति के कारण आज नेपाल लगभग कंगाली के राह पर खड़ा है, पूरी तरह पर्यटन पर आश्रित नेपाल में दिन ब दिन स्थिति गंभीर होती जा रही है। बताते चलें कि नेपाल में पर्यटन ही एक ऐसा माध्यम है जिससे उसे काफी राजस्व की प्राप्ति होती है जिसमें भारतीय पर्यटक महत्वपूर्ण भूमिका में दिखाई देते हैं, जबकि इसके विपरीत नेपाल में भारतीय वाहनों एवं पर्यटकों से धन उगाही होने की खबरे आम होती रहती है। इस सम्बंध में जब स्थानीय भारतीय नागरिकों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, एक तरफ नेपाली नंबर की गाडियां भारतीय सीमा क्षेत्र में 50 किलोमीटर चली जाती है, वह भी बिना किसी कागजी कार्यवाही के बेरोकटोक दिन रात विचरण करते रहते है, वही दूसरी तरफ भारतीय नंबर के वाहन नेपाल में बिना कस्टम के एक कदम भी आगे नहीं जा सकती हैं, अगर गलती से कोई अनजाने में चला गया तो उसका वाहन सीज कर लिया जाता है।
नेपाल की इस कारगुजारी को लेकर भारतीय सीमाई इलाकों के लोगों की मांग है कि, नेपाल से आने वाले नेपाली वाहनों का भारतीय कस्टम में इंट्री हो एवं जाने का भी इंट्री होना राष्ट्र सुरक्षा को लेकर बेहद जरूरी है। स्थानीय लोगों ने भारतीय सरकार से मांग किया है कि, अवैध रूप से आये नेपाली वाहनों को सीज करते हुए वाहन स्वामी को अवैध पारगमन को लेकर कानूनी कार्यवाही किया जाए, जैसा कि नेपाल में होता रहा है, लोगों ने यह भी कहा कि, दोस्ती दोनों तरफ के सरकारी कर्मचारियों को निभाना चाहिए , ताकि आवागमन सुविधा पूर्वक हो सके।