अब भारत से मांगी मदद
उमेश तिवारी
काठमांडू /नेपाल । नेपाल के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक भी फ्लाइट नहीं आ रही है। इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट को चीन ने अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पहल के तहत बनाया है। हम बात कर रहे हैं पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की, जिसका इसी साल जनवरी में उद्घाटन हुआ था। समाचार एजेंसी एएनआई ने द अन्नपूर्णा एक्सप्रेस के हवाले से लिखा है कि अपने उद्घाटन के 5 महीने बाद भी यहां फ्लाइट नहीं आ रही हैं। जब से इस एयरपोर्ट का परिचालन शुरू हुआ है तब से यहां कोई अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट नहीं आई हैं। अब नेपाल अपने पड़ोसी भारत की ओर मदद की आस लगाए देख रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाली अधिकारी भारत से बात कर रहे हैं ताकि पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उड़ानें संचालित हो सकें। हवाई अड्डे के अधिकारियों के अनुसार, भारत के अलावा, चीन व अन्य देशों के साथ बातचीत चल रही है। लेकिन निकट भविष्य में इस बात की कम ही उम्मीद है कि पोखरा हवाई अड्डे पर अंतर्राष्ट्रीय अड्डे पर एयरलाइनों की उड़ानें संचालित हो पाएंगी। अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के बिना, हवाई अड्डा सर्वाइव नहीं कर पाएगा क्योंकि उसे खुद के संचालन के लिए पर्याप्त आय नहीं मिल पाएगी। नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएएएन) के अधिकारियों के मुताबिक, हवाईअड्डे को अगर खुद को जीतिव रखना है तो उसे कम से कम 100 दैनिक घरेलू उड़ानें और 50 साप्ताहिक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें संचालित करनी होंगी।
लेकिन यहां मामला शून्य है । इससे पहले, जब पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे का उद्घाटन किया गया था, तब खूब आलोचना हुई थी। चीन ने इसे BRI का हिस्सा बताया। जबकि नेपाल खुद BRI का हिस्सा तब बना था तब पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे को लेकर ही समझौता हो चुका था। लोन के बारे में बात करते हुए सेंटर फॉर सोशल इंक्लूजन एंड फेडरलिज्म (CESIF) के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कांत कर्ण ने कहा, “यह एयरपोर्ट 100 प्रतिशत कर्ज पर है। चीनी बैंक की सहायता से नहीं बना है। उन्होंने कहा, “केवल रियायत यह है कि हमें 25 प्रतिशत ऋण पर कोई ब्याज नहीं देना है।” इससे पहले, 2014 में, चीन सीएएमसी इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष लुओ यान और सीएएएन के महानिदेशक तीश चंद्र लाल सुमन ने हवाई अड्डे के निर्माण के लि 215.96 मिलियन अमरीकी डालर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। 21 मार्च 2016 को, चीन एक्जिम बैंक और नेपाली सरकार ने पोखरा अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय हवाईअड्डा निर्माण परियोजना के लिए 1.37 अरब पर हस्ताक्षर किए थे।