भारत के प्रधान सेवक नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ की ऐतिहासिक एवं प्रेरक 100वीं कड़ी पूर्ण होने के अवसर पर देश भर से प्राप्त जन भावनाओं पर आधारित विशेष रूपक ‘जन-जन की बात- मन की बात’ की रेडियो प्रस्तुति एक बार सुनो तो उससे हट पाना मुश्किल हो जाता है। कहें तो शानदार है यह रूपक, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं। दरअसल, मन की बात सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं रह गया है, अपितु आन्दोलन बन गया है। इससे पहले भी देश के कई प्रधानमंत्रियों ने रेडियो एवं टी.वी. के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया है लेकिन उनका संबोधन विशेष अवसरों पर ही रहा है। नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इस नियमित कार्यक्रम से आख़िरी कतार के आख़िरी नागरिक तक संवाद स्थापित करते हुए उसके सामाजिक, आर्थिक तथा सतत विकास केन्द्रित सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों में सकारात्मक व रचनात्मक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं | देश के 262 रेडियो स्टेशनों, 375 से अधिक निजी और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ दुनिया के सबसे बड़े रेडियो नेटवर्क ‘आल इंडिया रेडियो’ के माध्यम से 11 विदेशी भाषाओं सहित 52 भाषाओं/बोलियों में इसका प्रसारण इसकी सार्वजनीनता एवं सर्वस्पर्शिता को दर्शाता है।
डॉ. कन्हैया त्रिपाठी के आलेख एवं डॉ. संजय सिंह वर्मा के संपादन से सुसज्जित यह रेडियो रूपक अपने आप में उत्कृष्ट बन गया है | रूपक का प्रारम्भ शहनाई से है, जो उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब द्वारा लाल किले पर आज़ादी के सुर-संगीत के ऐतिहासिक पल की याद दिलाता है। तदन्तर ‘मेरे प्यारे देशवासियों के चिरपरिचित आवाज़ में प्रधानमंत्री उपस्थित होते हैं और ‘मन की बात’ शृंखला कार्यक्रम की पीछे के कारण और माध्यम के रूप में रेडियों की ही चुनाव के कारण को बताते हैं। आज के सूचना क्रांति के दौर में सूचना प्रसारण के तमाम माध्यमों के बीच जो आकर्षण और ताकत अखबार की पंचलाइन और रेडियो की आवाज़ वो किसी अन्य सूचना माध्यम में नहीं है, इस बात को प्रधानमंत्री जी रेखांकित करते हैं | इसके बाद जन-जन की बात की कड़ियाँ शुरू होती हैं। यशोदन बार, देवी ठाकुर और अजीत जायसवाल के वक्तव्यों से रूपक आगे बढ़ता है। पार्श्व संगीत उसी अनुसार प्रवाहित होती रहती है। रूपक में नाटकीय परिवर्तन आता है और एक बच्चे की आवाज़ में ‘मन की बात’ का उद्घोष होता है। पार्श्व संगीत भी चंचलता से भर जाती है| गीतों के माध्यम से संगच्छध्वं संवदध्वं की नाद लिए रूपक आगे बढ़ता है| अहम् से वयम् की व्यावहारिकता को दिखाते हुए ‘पोस्ट बॉक्स नंबर 111’ कार्यक्रम की चर्चा होती है। इस कार्यक्रम में भाग लिए जन अपने मन की बात को बताते हैं। रूपक में ‘मन की बात’ की प्रत्येक कड़ी के अभीष्ट की चर्चा होती है। यह भी बताया जाता है कि कैसे प्रधानमंत्री जी का एक सन्देश जन-आंदोलन का रूप ले लेता है। साथ ही साथ आन्दोलन के सक्रिय जन-जन अपने मन की बात को साझा करते हैं। स्वच्छ भारत, पर्यावरण संरक्षण, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इण्डिया, फिट भारत, लोकल फॉर वोकल, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ, कोविड सुरक्षा, हर घर तिरंगा, आत्मनिर्भर भारत, एक भारत श्रेष्ठ भारत इत्यादि जन-आन्दोलन प्रधानमंत्री जी के मन की बात से ही खड़े हुए हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री जी कहते हैं, ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता-जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। ‘मन की बात’ स्व से समिष्टि की यात्रा है।
इस रूपक में विषयवस्तु को संक्षिप्त, बहुत रोचक एवं सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत किया गया है। भाषिक संरचना छोटे-छोटे, सटीक और सहज हैं। ध्वनि प्रभाव और संगीत से भाषिक संवेदना को प्रभावी बनाया गया है एवं देश-कालगत अवधारणा के विशेष ध्यान दिया गया है जिससे वातावरण जीवंत हो उठा है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण जन- आन्दोलनों के प्रस्तुतीकरण में दिखाई देता है। वाचन का अंदाज़ सहजता, सरलता एवं संवेदनात्मकता को कारण आकर्षित करता है। गीतों का भी प्रभावी प्रयोग किया गया है | जन की तरफ से आयी आवाज़ भी साफ एवं स्पष्ट है। इस रेडियो रूपक के लेखक डॉ. कन्हैया त्रिपाठी एवं संपादन तथा प्रस्तुति करने वाले डॉ. संजय सिंह वर्मा विशेष साधुवाद के पात्र हैं जिनके कारण यह रूपक ‘जन-जन की बात मन की बात’ काव्यात्मक बन पड़ा है।
रेडियो पर रूपकों की शृंखला चलती रहती है लेकिन यह तो प्रधानमंत्री के मन की बात पर आधारित विशेष रूपक था। से लिखना और इसे प्रस्तुत करना एक कठिन कार्य लगता है लेकिन लेखक, सम्पादक और आकाशवाणी परिवार की इसमें मेहनत झलकती है। एक बार में इसे जब सुनने बैठा 30 अप्रैल को तो सुनता ही रह गया लेकिन इस पर जब कुछ लिखने का मन किया तो फिर दुबारा सुना। इस रूपक की खास बात यह भी है कि इसे लोग कई बार सुनेंगे तो उबेंगे नहीं। इस रूपक में प्रयोग भी लेखक और प्रोड्यूसर द्वारा किया गया है, ऐसा लगता है क्योंकि हमने तो रूपक दो आवाज़ों में निष्पादित होते हुए सुना है लेकिन इसमें एक नैरेटर के माध्यम से हर पहलुओं को छूने की कोशिश अद्भुत लगी। एक एक शब्द, एक एक वाक्य काव्यात्मक हैं। लोगों को बांधकर रखने वाले हैं। प्रधान मंत्री के मन की बात पर एक शानदार काम अखबारों में लिखे गए लेखों से भी ज्यादा हमें प्रभावकारी लगता है क्योंकि इनको लोग टहलने जा रहे हों तो सुन सकते हैं। घर में खाना बनाती औरतें हों, कामकाजी बहने हों वे अपना काम करते भी सुन सकती हैं। मन की बात पर आधारित 100 कड़ियों और इसके इतर अनुराग ठाकुर द्वारा आयोजित कॉन्क्लेव हो या जन भावनाओं का संयोजन बहुत ही सुंदर ढंग से लेखक और संपादक द्वारा किया गया है।
मुझे आकाशवाणी के इस अभिनव प्रयास की तारीफ करते हुए प्रसन्नता हो रही है लेकिन इस रूपक को जो सुनेगा वे सभी इसकी तारीफ करेंगे, ऐसा मुझे अंतःकरण से महसूस होता है। मन की बात कई तरीके से लोगों को प्रभावित की है। प्रधान मंत्री ने महसूस किया इसे लेकिन पूरा भारत महसूस कर रहा है। इस रूपक को जितना रिसर्च करके तैयार किया गया है वह इसके गम्भीर लेखन और प्रस्तुतिकरण से पता चलता है।
मन की बात से निकले संदेश और उससे अपने तरक्की की राह चुनती जनता का पूरा मनोबल भी इस रूपक में उभरकर सामने आता है और यह पता चलता है कि लोगों का मन बदला है और लोग अपने भीतर बदलाव करके देश बदलने की कोशिश में सक्रिय हो चुके हैं। भारत को समर्थ देश बनाने के लिए यह रूपक उन लोगों में आत्मविश्वास भी भरने का कार्य करेगा जो अभी भी अपने लक्ष्य से दूर हैं। यह एक सार्थक कोशिश थी। यह एक सार्थक सृजन है श्रव्य माध्यम का, ऐसा हर बौद्धिक व्यक्ति महसूस करेगा। मेरी दृष्टि से इसे बार बार रेडियो पर प्रसारित किया जाना चाहिए। इसे टीवी पर भी प्रसारित किया जाना चाहिए। इसे हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज में सुनाया जाना चाहिए। लेखक और संपादक के समस्त मेहनत का परिणाम तभी सुखद परिणाम पा सकेंगे। बेहतरीन भारत के लिए बेहतरीन सोच की आवश्यकता होती है और इस रूपक पर लेखक, सम्पादक और समस्त टीम की सोच से निकला यह रूपक बेहतरीन भारत बनाने की दिशा में एक उत्कृष्ट कार्य है। मन की बात की निरन्तरता देश की तरक्की के लिये कितना आवश्यक है, यह इस रूपक में सैकड़ों लोगों के मनोभावों को सुनकर बहुत अच्छी तरह समझ आता है।
निःसंदेह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की जनता के दिल के धड़कन बन चुके हैं और उनकी इस मन की यात्रा से भारत की यात्रा सुंदर होने वाली है। डॉ. सर्वेश पाण्डेय पी. जी. कॉलेज मलिकपूरा में सहायक आचार्य पद पर कार्यरत हैं।