दो टूक : 2024 के लिए कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के मायने

राजेश श्रीवास्तव


शनिवार को जब देश में कर्नाटक के विधानसभा चुनाव परिणाम आये तो यह पूरे देश को अलग सियासी संदेश दे रहे थे। संदेशों ने यह भी साफ कर दिया है कि यह सिर्फ विधानसभा चुनाव के परिणाम नहीं बल्कि 2024 का संदेश हैं क्योंकि कर्नाटक देश के बड़े पांच प्रदेशों में से एक है। जहां से 29 लोकसभा की सीटें आती हैं। कर्नाटक चुनाव परिणामों ने एक जो सबसे बड़ा सबक दिया है वह यह है कि विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे काम करते हैं न कि राष्ट्रवाद या धर्म का मुद्दा । भाजपा ने पंजाब, हिमांचल और अब कर्नाटक में यही गलती बार-बार दुहरायी। कांग्रेस ने हिमांचल के बाद कर्नाटक में स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी और सरकार में वापसी की।

कर्नाटक, दक्षिण भारत का इकलौता राज्य था, जहां बीजेपी किसी भी तरह से सत्ता पर काबिज हुई थी. उसे उम्मीद थी कि यहां से वह दक्षिण के बाकी राज्यों तक अपना पैर पसारेगी, लेकिन उससे पहले ही कर्नाटक की जनता ने बीजेपी के ‘पर’ कतर दिए। बीजेपी 104 सीटों से सिमट कर 65 सीटों पर आ गई है यानी उसे 39 सीटों का नुकसान हुआ है । यह 39 सीटें उसके लिए 2024 में बहुत बड़ा नुकसान बन कर आने वाली हैं। दिलचस्प यह है कि सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि यह परिणाम तब हैं जब मोदी और योगी ने सबसे अधिक रैलियां व चुनावी जनसभायें की थीं। कर्नाटक चुनाव 2०24 का सेमीफाइनल भी माना जा रहा था, जहां बीजेपी का पुराना धार्मिक हथकंडा फ़ेल हुआ। इस चुनाव ने 2०24 की पिच तैयार कर दी है, जहां बीजेपी और विपक्ष आमने सामने होंगे। इस चुनाव के नतीजों से कुछ बातें निकलकर सामने आई हैं, जिसे समझने की जरूरत है।

कर्नाटक के परिणाम के बाद बीजेपी के सिगल फ़ेस चेहरे (पीएम मोदी) पर सवाल उठने लगे हैं। दबी जुबान ही सही, ये बात उसके नेता भी मानने लगे हैं कि हर चुनाव में पीएम मोदी का मैजिक काम नहीं करेगा। वहां के लोकल नेता और लोकल मुद्दे ही अंतत: काम आते हैं । कर्नाटक में बीजेपी की हार से सबसे बड़ा नुकसान पीएम मोदी के चेहरे को होगा, क्योंकि हर जगह, चाहे केंद्र हो या राज्य, किसी भी चुनाव में बीजेपी के लिए पीएम मोदी ही चेहरा रहे। ऐसे में आने वाले चुनावों में लोगों के बीच एक संदेश जरूर जाएगा कि पीएम मोदी का चेहरा अब उतना प्रभावी नहीं रह गया है। मोदी मैजिक अब शिथिल पड़ने लगा है। कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में पीछे नहीं रहेगी। वह घूम-घूमकर यही बताएगी कि कर्नाटक में पीएम मोदी ने पूरा जोर लगा दिया, फिर वह चुनाव हार गए। क्योंकि, कर्नाटक की जनता ने बीजेपी की राजनीति को नकार दिया है । कर्नाटक में पिछले 35 साल की रवायत अभी भी कायम है। ये चुनाव कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था क्योंकि यह दक्षिण भारत का इकलौता राज्य था, जहां बीजेपी किसी भी तरह सत्ता पर स्थापित हुई थी। यहां से दूसरे दक्षिणी राज्यों में पार्टी के लिए गलियारा खुलने की उम्मीद थी। लेकिन, ये भी रास्ता उसके लिए बंद होगा। तमिलनाडु और केरल में बीजेपी पहले से ही हाशिए पर खड़ी है। यही वजह रही कि पीएम मोदी और बीजेपी ने कर्नाटक को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। ये कहना जल्दबाजी होगी की कर्नाटक में हार से बीजेपी दक्षिण मुक्त हो गई। पर ये जरूर है कि वह जितनी तेजी से इन राज्यों में अपना पैर पसार रही थी, उसकी गति जरूर कम होगी।

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कर्नाटक चुनाव को 2024 के लिटमस पेपर टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि, इस चुनाव का असर 2024 के साथ-साथ आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। आने वाले दिनों में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन चुनावों पर कर्नाटक के नतीजे असर डालेंगे। इन प्रदेशों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है । राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की सरकार है, और जानकारों का मानना है कि मध्य प्रदेश में भी स्थिति कांग्रेस के पक्ष में जाती दिख रही है. वहीं, तेलंगाना में प्रियंका गांधी ने रैली को संबोधित कर चुनाव का आगाज कर दिया हैञ अगर इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा तो बीजेपी के लिए 2024 की डगर आसान नहीं रहने वाली। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के साथ ही लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता को भी मजबूती मिलेगी। क्योंकि, अभी तक विपक्ष, केंद्र में कमजोर हो रही कांग्रेस पर दांव लगाने के लिए तैयार नहीं था, वह दूसरा विकल्प तलाश रहा था। लेकिन, कर्नाटक की जीत से कांग्रेस के प्रति विपक्ष की भी उम्मीदें जगेंगी। मौजूदा वक्त में विपक्ष जिस तरह से केंद्र के निशाने पर है, वह भी जानता है कि अगर 2024 में सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ तो उसके लिए बड़ी मुश्किल हो जाएगी । लेकिन कर्नाटक परिणामों से यह साफ हो गया है कि मोदी मैजिक फीका पड़ने लगा है अब पीएम मोदी भाजपा की जीत का गारंटी नहीं रह गये हैं।

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