बजट कर्मी कर रहा ऑडिट, मेशन टीचर को निर्माण

जेल मुख्यालय में चहेतों से हुई व्यवस्था अस्त व्यस्त

उगाही के लिए गैर अनुभवियो को सौंपी कमान


आर के यादव


लखनऊ। जेल मुख्यालय मे अफसरों ने गैर अनुभवी कर्मियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों सौंप दी हैं। विभाग में मेशन टीचर को इंजीनियर तो एक वरिष्ठ लिपिक को लेखाधिकारी (ऑडिटर )बना दिया है। यह मामला जेल मुख्यालय में तैनात कर्मियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकले लगाई जा रही हैं। चर्चा है कि यदि अफसरों से सेटिंग हो तो यहां उगाही के लिए कुछ भी हो सकता है।

मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के कारागार मुख्यालय में एक वरिष्ठ लिपिक सरवन वर्मा बजट अनुभाग में तैनात है। यह बाबू बजट अनुभाग का काम करने के बजाए लेखा विभाग के मुखिया से सेटिंग करके जेलों में ऑडिट का काम करता है। सूत्रों की मानें तो जेलों के ऑडिट में तमाम तरह की गड़बडिय़ां बताकर जेल अफसरों से उगाही तक करता है। इसी प्रकार जेल मुख्यालय के निर्माण विभाग में सहायक और अवर अभियंता को पद पिछले काफी समय से खाली पड़ा हुआ है। इन गंभीर पदों की जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों ने राजधानी की आदर्श कारागार में मेशन टीचर (राजगीर )पद पर तैनात है। उसको जेल मुख्यालय में निर्माण विभाग का प्रभारी बना रखा है। इसी तरह अत्याधुनिक उपकरणों की जिम्मेदारी मृतक आश्रित महिला के हाथों में है। जिसको खरीद फरोख्त का कोई अनुभव ही नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि बजट विभाग में तैनात वरिष्ठï लिपिक सरवन वर्मा बजट का काम करने के बजाए अपना अधिकांश समय जेलों के ऑडिट कराने में लगा रहता है। इसकी पुष्टिï जेल मुख्यालय में रखी गई उपस्थिति पंजीका से आसानी से की जा सकती है। पिछले छह माह के दस्तावेज खंगाले जाए तो अधिकांश में उसके नाम के आगे टी (टूर )अंकित किया गया है। इसी प्रकार जेलों में टूट फूट के मरम्मत कार्यों को देखने वाले मेशन टीचर डीके त्रिपाठी को निर्माण विभाग की जिम्मेदारी दे रखी गई है। बताया गया है कि यह अधिकारी काम के बजाए अधिकारियों की चाकरी कर उगाही करने में जुटे हुए है। मुख्यालय के कर्मियों को इन तैनातियों को लेकर चर्चा है कि कुछ अफसरों ने इन्हें उगाही के लिए ही लगा रखा है।

अफसरों की कमी के चलते सौंपा गया कार्य

बजट में तैनात लिपिक के ऑडिट करने, मेशन टीचर को निर्माण का प्रभार देने और आधुनिक उपकरणों की खरीब एक मृतक आश्रित के जिम्मे होने के संबंध में जब जेल मुख्यालय के डीआईजी एके सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने मुख्यालय में अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए बताया कि मुख्यालय इन पदों पर अधिकारियों का तैनात किए जाने के लिए लगातार शासन के सम्पर्क में हैं। उन्होंने इनसे यह कार्य लिए जाने की पुष्टिï तो की लेकिन उगाही किए जाने के आरोप को सिरे से ही नकार दिया।

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