नये संसद भवन का उद्घाटन,
चुने हुये प्रधानमंत्री कर रहे हैं,
पर विपक्षी बहिष्कार कर रहे हैं,
चूँकि राष्ट्रपति आमंत्रित नहीं हैं।
संसद जनता की प्रतिनिधि सभा है,
सांसद क्षेत्र का प्रतिनिधि होता है,
राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होता है,
प्रधानमंत्री संसद का नेता होता है।
सांसदों को यहीं संसद चलानी है,
आज नहीं तो कल उनको आना है,
पाँच साल की अवधि भी बितानी है,
तो यह बहिष्कार अनौचित्यपूर्ण है।
राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को
नियत समय पर संबोधित करते हैं,
देश की अखंडता सर्वोपरि होती है,
संसद राष्ट्रीय शान सम्मान होती है।
कर्तव्य सत्तापक्ष विपक्ष दोनों का है,
यहाँ तो साथ रह कुछ अच्छा करें,
आदित्य सारे विश्व में अच्छा बनें,
और विश्वगुरू जैसा प्रदर्शन करें।