उमेश तिवारी
नेपाल में नागरिकता संबंधी विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लग गई है। इस निर्णय से मधेशी जनता काफी खुश है। इससे सीमाई क्षेत्र के लोगों का लाभ काफी होगा। अब भारतीय युवती की नेपाल के नागरिक से शादी होने पर उसे शीघ्र ही नागरिकता मिल जाएगी। नागरिकता के लिए अब उसे सात साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जन्म के बाद बच्चे को भी माता पिता के नागरिकता के आधार पर तुरंत नागरिकता देने का प्रावधान होगा।
बताते चलें कि नेपाल की कुल आबादी लगभग तीन करोड़ 79 लाख के करीब है। इसमें तराई के सीमावर्ती 23 जिलों में लाभाग 22 लाख लोग नागरिकता विहीन हैं। वहीं सीमावर्ती जिला नवलपरासी के तथ्यांक कार्यालय के अनुसार 22 हजार लोगों के पास नागरिकता नहीं है। नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौड़ेल द्वारा नागरिकता विधेयक पारित करने के बाद मेची से महाकाली तक नवलपरासी, कपिलवस्तु, रूपन्देही, कलैया, वीरगंज, जनकपुर, गौर, सर्लाही, विराटनगर, बारा,परसा सहित 23 जनपदों में रह रहे मधेशी समुदाय के लोगों में हर्ष का माहौल है। नेपाल के नवलपरासी जिले के हरपुर निवासी हरिशंकर प्रसाद गुप्त और महेशपुर निवासी महेंद्र वर्मा और रूपंदेही निवासी राम कृपाल यादव, मोहम्मद इरफान, जगनारायन पांडे ने बताया कि नागरिकता विधेयक की मंजूरी मिलने से भारत के साथ नेपाल के रोटी बेटी का संबंध और प्रगाढ़ होगा। दोनों देशों के संबंधों में किसी प्रकार की बाधा नहीं आयेगी। भारतीय मूल के लोगों को नेपाल में बेटियों की शादी करने में कोई अड़चन नहीं आयेगी।
तीन पीढ़ियों से बिना नागरिकता के रह रहे थे मधेशी
नेपाल में नागरिकता पाना बेहद जटिल समस्या माना जाता है। ऐसे में तमाम परिवार नेपाल में तीन पीढ़ियों से रह कर भी मधेशी समुदाय के लोग भी नागरिकता विहीन थे। इससे उनके के बच्चों की शिक्षा, नौकरी के अलावा अपनी भूमिधरी जमीन के खरीद फरोख्त करने में परेशानी हो रही थी। राष्ट्रपति की नागरिकता विधेयक पर मुहर लगने के बाद लोगो में नई उमंग जग गई है’।