जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है, इन्हें प्रथम पूजनीय की उपाधी दी गई है। शास्त्रों के अनुसार गणपति की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरे नहीं होते। हर माह में गणेश जी की उपासना के लिए चतुर्थी का दिन उत्तम माना जाता है।
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि
आषाढ़ माह की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत 7 जून 2023, बुधवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा एवं उनका दर्शन करते हैं। चंद्रदर्शन के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधूरा माना जाता है।
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि 07 जून 2023 को सुबह 12 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और इसी दिन रात को 09 बजकर 50 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा।
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत का चंद्रोदय समय
पंचांग के अनुसार इस साल कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय समय प्राप्त नहीं है। दरअसल इस दिन चंद्रमा रात 10 बजकर 50 मिनट पर उदय होगा लेकिन चतुर्थी तिथि 07 जून को रात 09.50 मिनट पर ही समाप्त हो रही है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी।
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी महत्व
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर कार्य में सिद्धि प्राप्ति के लिए अचूक माना गया है। मान्यता यह है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी संतान संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं। हर तरह के कार्यों की बाधा दूर होती है। धन तथा कर्ज संबंधी समस्याओं का समाधान होता है. इस दिन श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करने से घर खरीदन की इच्छाएं जल्द पूरी होती हैं।