लखनऊ। जैसा की सर्वविदित है वर्ष 2004 में भाजपा सरकार ने केंद्रीय कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन समाप्त कर एन पी एस लागू किया था। कालान्तर में पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा को छोड़कर देश के सभी प्रांतों ने पुरानी पेंशन समाप्त कर एनपीएस प्रणाली लागू कर दी थी। पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में उस समय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार थी। बाद में वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार बनने पर केरल में पुरानी पेंशन समाप्त हो गई। वर्ष 2018 में भाजपा सरकार बनने पर त्रिपुरा में पुरानी पेंशन समाप्त हो गई। किंतु पश्चिम बंगाल में 2011 में सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी ने पुरानी पेंशन की व्यवस्था जारी रखी। कर्मचारियों के बढ़ते दबाव के कारण पिछले वर्ष राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की। इसके बाद छत्तीसगढ़, झारखंड और हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी पुरानी पेंशन बहाल कर दी है। पंजाब सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल करने का औपचारिक निर्णय कैबिनेट में ले लिया है। सबसे नया मामला आंध्र प्रदेश का है। आंध्र प्रदेश सरकार ने सात जून को गारंटीड पेंशन योजना लागू करने का निर्णय लिया है। आइए समझते हैं यह सारा मामला क्या है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने सात जून की कैबिनेट मीटिंग में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। पहला निर्णय नई पेंशन प्रणाली 2004 से समाप्त कर ओपीएस (पुरानी पेंशन) के बजाय GPS (गारंटीड पेंशन स्कीम) लागू करने का निर्णय है जिसके तहत कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत कटता रहेगा और इतनी ही धनराशि सरकार देगी। सेवा निवृत्ति के समय मिल रहे मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन मिलेगी। कर्मचारी और शिक्षक संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे है। उनकी मांग है कि पुरानी पेंशन ओ पी एस लागू की जाए।
दूसरा निर्णय सभी 10117 आउट सोर्स कर्मियों को नियमित करने का है। कुछ साथी यह प्रश्न कर रहे हैं कि आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए निर्णय GPS गारंटीड पेंशन स्कीम और ओ पी एस ओल्ड पेंशन स्कीम में अंतर क्या है और क्यों आंध्र प्रदेश के कर्मचारी GPS का विरोध कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि ओपीएस ही लागू की जाए। GPS और ओ पी एस दोनों में ही यह व्यवस्था है कि सेवानिवृत्ति के समय मिल रहे मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाएगा। ओ पी एस के अंतर्गत पेंशन का पूरा दायित्व सरकार का होता है और पेंशन कंट्रीब्यूशन सरकार द्वारा जमा किया जाता है। GPS के अंतर्गत कर्मचारी को अपने वेतन से 10% प्रतिमाह कटाना होगा और इतनी ही धनराशि सरकार द्वारा पेंशन फंड में जमा की जाएगी।