दो टूक : क्या यूपी में तैयार हो रही अपराधियों की नई फसल

राजेश श्रीवास्तव


उत्तर प्रदेश में पिछले दो महीनों में अपराधियों की दुनिया में जिस तरह की घटनाएं हो रहीं हैं, वह कई तरह की कहानियों को जन्म दे रही है। ऐसा कौन है जो शातिर अपराधियों को खत्म करने का काम कर रहा है। जो काम अदालतों और पुलिस को करना चाहिए, वह काम ऐसे नवयुवक कर रहे हैं, जिनका अपराध की दुनिया में कोई बड़ी रिकार्ड नहीं है। यह कहानी अतीक और अशरफ की हत्या से शुरू हुई और जीवा पर आकर रुकी है, रुकी इसलिए कि पता नहीं आगे यह कहां रुकेगी। इस तरह की जो हत्यायें हो रही हैं वह तमाम तरह के सवाल खड़े कर रही है। संगठित अपराध पर काबू के दावों के बीच युवा चेहरों के हाथों में बंदूक और नामी गैंगस्टरों की हत्या मामले ने सवाल गहरे कर दिए हैं। आखिर कौन है जो यूपी में लगातार हत्याकांड को अंजाम दे रहा है।

उत्तर प्रदेश में 53 दिनों के भीतर दो हत्याकांडों ने पुलिस से प्रदेश की शासन व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दो हत्याकांड हुए। दोनों पुलिस कस्टडी में। पुलिस की सुरक्षा घेरे के बीच। और तो और, दोनों हत्याकांडों में हत्यारों के जो चेहरे सामने आए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। दोनो हत्याकांडों के चारों हत्यारों के चेहरे पर क्रूरता का भाव नहीं दिखेगा। सभी की उम्र कम है। सभी अपराध की दुनिया में बस एंट्री भी मारने वाले दिखते हैं। लेकिन, उनके अपराध का दायरा इतना बड़ा है, जिस पर सवाल खड़ा होने लगा है। सवाल यह कि क्या उत्तर प्रदेश में अपराधियों की एक नई फसल तैयार हो रही है। यह नई फसल अपराध की जमीन पर पहले से फल-फूल रहे पेड़ों को काटकर अपनी जगह बनाने की कोशिश में है। या फिर, इन घटनाओं के पीछे कोई और है? दरअसल, हत्यारों के पास से जो हथियार मिल रहे हैं। उनकी कीमत इन अपराधियों की पहुंच से काफी बाहर की है। ऐसे में सवाल यह भी कि आखिर अपराधियों को हथियार देने वाला या फिर इसे मुहैया कराने वाला कौन है?

उत्तर प्रदेश पिछले 53 दिनों में दो बार दहला है। 15 अप्रैल को प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में मेडिकल के लिए ले जाए जाने के दौरान माफिया अतीक अहमद और उसके भाई दानिश अजीम उर्फ अशरफ की हत्या कर दी गई। माफिया बंधुओं की हत्या के मामले में सनी सिह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य को गिरफ्तार किया गया। मीडियाकर्मी बनकर आए हत्यारों के पास से जिगाना पिस्टल और अन्य मर्डर वेपन बरामद किए गए। हत्या के बाद पकड़े गए तीनों अपराधियों का चेहरा जब सामने आया तो इसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। छोटे-मोटे अपराधों में शामिल तीनों शूटरों ने अतीक और अशरफ जैसे माफियाओं को निशाना बना दिया। 7 जून को लखनऊ का जिला कोर्ट परिसर एक बार फिर गोलियों की आवाज से दहल उठा। इस बार निशाना बना यूपी का चिह्नित बदमाश संजीव महेश्वरी जीवा। संजीव जीवा को कोर्ट परिसर में वकील का वेश धरकर आए विजय यादव ने गोली मार दी। संजीव जीवा की हत्या में शामिल विजय यादव का चेहरा भी सामने आया है। इसे भी आप एक प्रोफ़ेशनल शूटर किसी भी स्थिति में नहीं कह सकते हैं। विजय यादव के आपराधिक इतिहास को खंगाला जाने लगा है। यूपी सरकार की ओर से संजीव जीवा की हत्या की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। अब एसआईटी इस पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी तो हत्याकांड के वास्तविक उद्देश्य का पता चल पाएगा।

संजीव जीवा हो या फिर अतीक-अशरफ हत्याकांड, घटना के कुछ ही देर में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी हो गई। अपराधी चाहते तो गोलियों की बौछार करते हुए वहां से भागने की कोशिश भी कर सकते थे। लेकिन, दोनों ही हत्याकांडों में शामिल आरोपियों में इस प्रकार की कोई कोशिश की जाती नहीं दिखी। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि हत्याकांड के बाद गिरफ्तारी का कोई खेल भी इस पूरे प्रकरण में हो सकता है। हत्याकांड के कुछ ही देर में मरने वाले गैंगस्टर का पूरा आपराधिक इतिहास जारी किया जाना और पुलिस की ओर से संजीव जीवा को बड़ा अपराधी बताना भी सवाल खड़े कर रहा है। बहरहाल, इन हत्यारों की तस्वीरों पर चर्चा खासी गर्म है, इन्हें चारा बनाने वाले कौन हैं? आखिर कौन है जो अपराधियों की नयी फसल खड़ी कर रहा है। बड़े अपराधियों को निपटाने के लिए कौन शहंशाह का काम कर रहा है। जो अदालत और पुलिस का काम कर रहा है। कहीं इसके पीछे कोई बड़ा मास्टरमाइंड तो नहीं। सवाल सुरसा की तरह मुंह बाये खड़े हैं। जवाब हम सब को तलाशना होगा।

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