नई दिल्ली। कनाडा की सरकार ने देश में रह रहे करीब 700 भारतीय छात्रों के आव्रजन दस्तावेजों में कमी होने के मामले में व्यवहारिक दृष्टिकोण और मानवीय संवेदनशीलता के आधार पर बढ़ने का भरोसा दिया है। सूत्रों के अनुसार भारत इस मामले को कनाडा के अधिकारियों के साथ ओटावा में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से और नयी दिल्ली में कनाडा उच्चायोग के जरिए लगातार उठाता रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने कनाडाई समकक्ष से भी इस मामले पर बात की। सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार ने इस वर्ष अप्रैल में अपनी कनाडा यात्रा के दौरान इसे उठाया था। टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावास में भारतीय छात्रों के एक समूह ने उनसे मुलाकात की थी।
बताया गया है कि कनाडाई अधिकारियों से बार-बार निष्पक्ष रहने और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया गया क्योंकि छात्रों की गलती नहीं थी। यह भी बताया गया कि कनाडा शासनतंत्र में कुछ खामियों और असावधानी के कारण छात्रों को वीजा मिल गया और उन्हें कनाडा में प्रवेश करने की अनुमति भी मिल गई।
सूत्रों के अनुसार तब से, कनाडा के राजनीतिक दलों एवं उनके सांसदों ने छात्रों के समर्थन में बात की है। देश में आप्रवासन मंत्री शॉन फ्रेज़ियर ने संकेत दिया है कि कनाडा अनिश्चितता का सामना कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सक्रिय रूप से एक समाधान का प्रयास कर रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी छात्रों के साथ उचित व्यवहार की आवश्यकता को स्वीकार किया है। हाल ही में कुछ छात्रों को उनके निर्वासन नोटिस पर स्थगन आदेश प्राप्त हुए हैं। सूत्रों ने कहा कि यह स्वागत योग्य है कि भारत सरकार के लगातार प्रयासों के फलस्वरूप कनाडा सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाने और छात्रों के दृष्टिकोण को स्वीकार करने का फैसला किया है।(वार्ता)