प्रकृति का अद्भुत कारनामा है कि,
हर चीज़ टूटकर सुंदर परिणाम देती है,
बादल फटते हैं तब बारिस होती है,
खेत जोतकर ज़मीन उपजाऊ होती है।
फसल की मिंजाई अनाज देती है,
बीज फटकर नयी पौध उगती है,
जीव का आवरण टूटता है जब,
तब नये जीव की उत्पत्ति होती है।
कोई भी महसूस करे कि वह टूट गया,
तब अच्छा फल प्रतीक्षारत होता है,
यह ईश्वर पर आस्था की बात है कि
वह हर चीज़ का सदुपयोग करता है।
कोई भले ही हर तरह से परिपूर्ण न हो,
हर किसी में कोई तो अच्छाई होती है,
उसकी बुराईयों से दूर रहना चाहिये
अच्छाइयों से ही तो सीख मिलती है।
किरण चाहे सूर्य की हो या आशा की
जीवन के सभी अंधकार मिटा देती है,
अपनों के साथ का सुख बढ़ जाता है,
और अगर दुख हो तो वो घट जाता है।
ईश्वर का हमें आभारी होना चाहिये,
वह रोज़ हमें ताक़त व शक्ति देते हैं,
हमारी सुख सुविधा, हमारे आराम की,
ईश्वर ही तो सारी व्यवस्था करते हैं।
आदित्य यह समझने की क्षमता
भी हमें ईश्वर से ही मिल पाती है,
उनसे ही सदबुद्धि और जीवन की
सार्थकता की अनुभूति हो पाती है।