नई दिल्ली। हेल्पएज इंडिया ने बुधवार को ‘विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरुकता दिवस’ की पूर्व संध्या पर यहां अपनी राष्ट्रीय 2023 रिपोर्ट ‘वीमेन एंड एजिंग: इनविजिबल ऑर एम्पावर्ड?’ जारी की जिसमें वृद्ध महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार के संबंध में एक खतरनाक प्रवृत्ति का पता चला। रिपोर्ट में बुजुर्ग महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार में 16 प्रतिशत की वृद्धि का खुलासा हुआ। दुर्व्यवहार में पहली बार सबसे अधिक शारीरिक हिंसा का पता चला और दुर्व्यवहार की शिकार 50 फीसदी महिलाओं ने इसका अनुभव किया। इसके बाद उनके प्रति अनादर (46 प्रतिशत) और भावनात्मक/मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार (40 फीसदी) रहा।
रिपोर्ट के अनुसार दुर्व्यवहार के मुख्य अपराधी महिलाओं के पुत्र (40 प्रतिशत) थे, उसके बाद अन्य रिश्तेदार (31 फीसदी) रहे, जिससे पता चलता है कि दुर्व्यवहार करने वालों में करीबी परिजनों के अलावा दूसरे भी प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके बाद बहू की ओर की जाने वाली प्रताड़ना (27 फीसदी) रही। अपने साथ दुर्व्यवहार होने के बावजूद 18 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं ने ‘प्रतिशोध या आगे दुर्व्यवहार के डर’ के मुख्य कारण के चलते इसकी रिपोर्ट नहीं की, इसके बाद 16 फीसदी को ऐसा लगा कि उन्हें उपलब्ध संसाधनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जबकि 13 प्रतिशत को लगता है कि उनकी चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा।
इसके अलावा 56 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं में दुर्व्यवहार के लिए उपलब्ध निवारण तंत्र के बारे में जागरुकता की कमी है, केवल 15 फीसदी माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के बारे में जागरुक हैं और 78 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं को किसी भी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं है। बुजुर्ग महिलाओं की सामाजिक स्थिति ने उनके संकट को और बढ़ा दिया, 18 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं ने कहा कि उन्होंने लिंग भेदभाव का सामना किया है, 64 फीसदी ने अपनी वैवाहिक स्थिति यानी विधवा होने के कारण सामाजिक भेदभाव का सामना किया। आर्थिक मोर्चे पर 53 प्रतिशत वृद्ध महिलाएं आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। सुरक्षित महसूस करने वाले 47 फीसदी हैं उनमें से 79 प्रतिशत पैसे के लिए अपने बच्चों पर निर्भर हैं। भारत में 66 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं के पास कोई संपत्ति नहीं है और 75 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं के पास कोई बचत नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार जहां तक डिजिटल समावेशन का संबंध है, वृद्ध महिलाएं इसमें बहुत पीछे हैं, 60 फीसदी वृद्ध महिलाओं ने कभी भी डिजिटल उपकरणों का उपयोग नहीं किया है, 59 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं के पास स्मार्टफोन नहीं है। वृद्ध महिलाओं में से 13 प्रतिशत ने कहा कि वे कुछ कौशल विकास कार्यक्रम के लिए ऑनलाइन नामांकन करना चाहेंगी। इसके अलावा 48 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं की कम से कम एक पुरानी स्थिति है, फिर भी 64 प्रतिशत वृद्ध महिलाओं ने कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं होने की सूचना दी है। इसके साथ ही 67 प्रतिशत वृद्ध महिलाएं अभी भी अपने परिवारों में देखभाल करने वाली भूमिकाएँ निभाती हैं, जबकि 36 प्रतिशत वृद्ध महिलाएँ देखभाल करने के बोझ का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं हैं।
हेल्पएज इंडिया की हेड (पॉलिसी एंड रिसर्च) अनुपमा दत्ता ने रिपोर्ट को लेकर कहा कि महिलाओं को कम उम्र से ही सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक नुकसान होता है, यह उनके जीवन को अकल्पनीय तरीके से बुढ़ापे में प्रभावित करता है। वे शायद ही कभी अपने जीवन के बारे में चुनाव करते हैं और सभी अच्छे इरादों के बावजूद वे जीवन के लगभग सभी पहलुओं में गौण रहते हैं। इक्यावन प्रतिशत वृद्ध महिलाओं ने ‘कभी नहीं’ नियोजित होने की सूचना दी है, जबकि 32 प्रतिशत वृद्ध महिलाएँ यथासंभव लंबे समय तक काम करना चाहती हैं, लेकिन अवसर कहाँ हैं? इसका मतलब वृद्धावस्था में कम या कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं समझा जा सकता है।
सुश्री दत्ता ने कहा कि उनके लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए बहुत कुछ नहीं किया गया है। लगभग 70 फीसदी वृद्ध महिलाओं ने पर्याप्त और सुलभ रोजगार के अवसरों की कमी की बात कही है। अगर तकनीक भविष्य है, तो आज की डिजिटल दुनिया में हम इन बेबस महिलाओं को कहां देखते हैं? 59 फीसदी वृद्ध महिलाओं के पास स्मार्टफोन भी नहीं है। हमें इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है कि हम इन महिलाओं को कैसे सक्षम और प्रोत्साहित कर सकते हैं कि वे आत्मनिर्भर हों, आखिरकार वे अपने उन भागीदारों को पछाड़ देंगी जो उनके लिए निर्णय लेते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कामकाजी वृद्ध महिलाओं में से 47 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें घर का वातावरण काम के अनुकूल नहीं लगता, जबकि 36 प्रतिशत वृद्ध महिलाएँ जो काम कर रही हैं, अपने कार्यस्थल पर अपने वातावरण के लिए ऐसा ही कहती हैं।
यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है जो केवल बुजुर्ग महिलाओं पर केंद्रित है, जहाँ अक्सर उनकी जरूरतों का ख्याल नहीं रखा जाता है और उनका कोई अधिकार नहीं रहता है। इस रिपोर्ट में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और भेदभाव, वित्तीय संसाधनों तक वृद्ध महिलाओं की पहुंच और स्वामित्व, रोजगार और रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक और डिजिटल समावेशन, सुरक्षा और संरक्षा, जागरूकता और निवारण तंत्र और अन्य के उपयोग के पहलुओं की पड़ताल की गयी है। इस रिपोर्ट में देश के शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों को समेटते हुए भारत के 20 राज्यों, दो केंद्रशासित प्रदेशों और पांच महानगरों को शामिल किया गया है। इसमें 7911 उत्तरदाताओं की प्रतिक्रियाओं को खंड बी, सी और डी श्रेणियों में प्रस्तुत किया गया है। (वार्ता)