उमेश तिवारी
काठमांडू । नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के एक वरिष्ठ नेता बहादुर रायमाझी समेत 16 लोगों को शुक्रवार को रिमांड पर भेजा गया। इस घोटाले के तहत नेपाली नागरिकों को भूटानी शरणार्थी होने के फर्जी दस्तावेज बनाकर अमेरिका भेजा गया था और लोगों से बड़ी मात्रा में धन भी इकठ्ठा किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, काठमांडू जिला अदालत ने शुक्रवार को पूर्व उप प्रधानमंत्री टोप बहादुर रायमाझी, पूर्व गृह मंत्री बालकृष्ण खंड, सरकार के सचिव (अब निलंबित) टेक नारायण पांडे, पूर्व गृह मंत्री राम बहादुर थापा के सुरक्षा सलाहकार डॉ. इंद्रजीत राय और भूटानी शरणार्थी नेता टेकनाथ रिजाल को रिमांड पर भेजा। ये सभी घोटाले में आगे की जांच के लिए जालसाजी, धोखाधड़ी और संगठित अपराध के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
रायमाझी को अब नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पार्टी के सचिव के पद से निलंबित कर दिया गया है। न्यायमूर्ति प्रेम प्रसाद नुपाने की पीठ ने हालांकि इनमें से दो आरोपियों टंका गुरुंग और लक्ष्मी महाराजन को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। जस्टिस प्रेम प्रसाद न्योपाने ने लगभग एक पखवाड़े तक चली मैराथन सुनवाई के बाद शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। शरणार्थी घोटाले में 18 आरोपियों में से 16 को आरोपित किया गया है। दो आरोपितों टंका कुमार गुरुंग और लक्ष्मी महाराजन को जमानत पर रिहा किया जाएगा, जिन पर अदालत ने 10 लाख और 5 लाख नेपाली रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत के अंतिम फैसला सुनाए जाने तक ये सभी न्यायिक हिरासत में रहेंगे। लेकिन ये इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं और जमानत मांग सकते हैं।
काठमांडू की जिला अटॉर्नी कार्यालय ने 24 मई को घोटाले को लेकर पुलिस रिपोर्ट के आधार पर 18 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसमें शामिल लोगों ने कथित तौर पर करीब 875 नेपाली नागरिकों से लाखों रुपये ठगे। घोटाले में कथित रूप से शामिल अन्य 12 लोग फरार हैं।