उमेश तिवारी
लखनऊ। पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसकी भरपाई के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहा है। वह लोन लेने के लिए कटोरा हाथ मे लिए घूम रहा है, जिसमें फिर से चीन ने एक अरब डॉलर डाल दिए। इसके बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आवाम के सामने डंका पीटना शुरू कर दिया, लेकिन एक बात उन्हें अंदर ही अंदर खटक रही है कि कहीं चीन उससे लोन वापस लेने के लिए आंखें न दिखाने लग जाए। उनके मुल्क में लोगों को दो जून की रोटी नसीब होना भी दूभर हो रहा है।
शहबाज शरीफ ने चीन की तारीफ में पुल बांध दिए हैं। उनका कहना है कि इस समय भी पाकिस्तान का साथ चीन भरपूर दे रहा है। उसने हमें एक और अरब डॉलर दिए हैं। हम नहीं चाहते हैं कि पाकिस्तान को कर्ज अधिक लेना चाहिए। इस समय मुल्क के ऊपर 72 सालों में कर्ज का सबसे ज्यादा बोझ लदा हुआ है। अब शरीफ आवाम को सपना दिखा रहे हैं कि लोन लेकर प्रोडक्टिव इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे कर्ज उतरेगा। शरीफ ने सीधा मैसेज आवाम को दिया कि उनके जिगरी दोस्त चीन के चेहरे से लगने लग गया है कि वो भी चाहते हैं कि उनका कर्ज लौटाया जाए। कब तक कर्ज लेते रहोगे? इसी कर्ज से रिसोर्स जनरेट करके उनका पैसा लौटाया जाना चाहिए। पाकिस्तान के PM की इस बात से एक बात जरूर साफ हो गई है कि ड्रैगन भी अब उससे हाथ जोड़ने वाला है। उसे भी दिखाई देने लग गया है कि जिन्ना का मुल्क लोन वापस करने की स्थिति में फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है।
पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से फंड का इंतजार
पाकिस्तान इस समय बेलआउट प्रोग्राम से लोन रिलीज करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का इंतजार कर रहा है। हालांकि चीन से फौरी तौर पर उसे राहत मिली है। देश का लगातार विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है। वित्तीय संकट और IMF के साथ समझौते में हो रही देरी के बीच पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था उथल-पुथल हो रही है। डिफॉल्ट के जोखिम से बचने के लिए उसे धन की जरूरत है। राजनीतिक अस्थिरता के बीच पाकिस्तान को फिलहाल बाहरी वित्तपोषण हासिल करने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। इससे पहले IMF ने पाकिस्तान के हाल में पेश किए गए बजट पर असंतोष जताया था।