जेल तबादलों में मालामाल हुए मुख्यालय के बाबू!

कई लखपति तो कई बाबू हुए करोड़पति

विभागीय मंत्री की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल

जेल विभाग के तबादलों में हुई अनाप शनाप वसूली


आर के यादव


लखनऊ। कारागार विभाग के तबादलों में एक बार फिर जमकर वसूली हुई है। इस मनमाफिक अवैध वसूली से विभागीय मंत्री और बाबू मालामाल हो गए। शासन और जेल मुख्यालय में बैठ अफसरों ने एक बार फिर चहेते अधिकारियों को मनमाफिक स्थानों पर तैनाती देने के लिए नियमों को ताक पर रखकर कमाऊ जेलों पर तैनात कर दिया गया। विभाग की तबादलों सूची इस सच की पुष्टि करती नजर आ रही है।

कारागार विभाग के अब तक तीन चरणों में तबादले किए गए। बीती 27 जून का जारी की गई पहली सूची में 11 वरिष्ठ अधीक्षक और अधीक्षक के तबादले किए गए। इस सूची के एक दिन बाद 29 जून (बकरीद अवकाश) के दिन आगरा, बरेली, वाराणसी, कानपुर परिक्षेत्र के करीब डेढ़ सौ से अधिक हेड वॉर्डर और वार्डर के तबादले किए गए। इसके साथ ही 18 जेलर, 52 डिप्टी जेलर के तबादले किए गए। 30 जून को देर रात 14 और डिप्टी जेलरो को स्थानांतरित किया गया।

सूत्रों का कहना है वरिष्ठ अधीक्षक और अधीक्षक के तबादलों में विभागीय मंत्री की सिफारिशों के साथ उगाही का बोलबाला रहा। चर्चा है कि लाखों की मोटी रकम लेकर कई वरिष्ठ अधीक्षकों को कमाऊ जेलों पर तैनात करा दिया गया है। गाजीपुर जेल अधीक्षक पिछले काफी समय से अच्छी जेल पर तैनाती के लिए प्रयासरत थे। इस सूची में उन्हें कमाऊ जेल पर तैनात ही कर दिया गया। जेलर, डिप्टी जेलर, हेड वार्डर और बार्डर के तबादलों में जेल मुख्यालय में तैनात बाबुओं ने जमकर वसूली की है। पश्चिम की कमाऊ जेलों में तैनाती के लिए इसी 50 से 70 हजार रुपए तक वसूल किए गए है। छोटी जेलों के लिए 25 से 30 हजार तक लिए गए हैं। जेलर और डिप्टी जेलरों की तैनाती के लिए लाखों की धनराशि वसूल की गई है। तबादलों की सूची में जेल नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई है। चर्चा है कि मोटी रकम लेकर एक बार फिर जेल अधिकारियों को कमाऊ जेलों पर तैनात कर दिया गया है। विभाग में हुए तबादलों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो दूध का दूध पानी सामने आ जाएगा।

विभागीय मंत्री व अधिकारियों ने मामले पर साधी चुप्पी

जेल विभाग के तबादलों के संबंध में जब कारागार विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति से बात करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। कुछ ऐसा ही हाल प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह का भी रहा उनसे भी काफी प्रयासों के बाद सम्पर्क नहीं हो पाया। प्रमुख सचिव की निजी सचिव विनय सिंह ने कहा की इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जेल मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तबादलों पर कोई भी टिप्पणी से साफ इनकार कर दिया।

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