डॉ दिलीप अग्निहोत्री
केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें किसानों के कल्याण हेतु कटिबद्ध है, किसानों को राहत देने और कृषि आय बढ़ाने के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा है। किसानों को कृषि उपज का शत प्रतिशत भुगतान हो रहा है। समर्थन मूल्य में सर्वाधिक वृद्धि की गई। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के पहले पांच वर्षों में गन्ना मूल्य का भुगतान लगभग एक लाख करोड़ रुपये हुआ था। जबकि योगी सरकार के समय दो लाख तेरह हजार चार सौ करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान DBT के माध्यम से सीधे गन्ना किसानों के खातों में भेजा गया है। खांडसारी में जो पांच सौ टन अतिरिक्त गन्ना पेराई हुई है, उसका भी किसानों को नकद भुगतान किया गया है। इसके साथ ही एथेनॉल का अलग से भुगतान किया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि गन्ना विभाग ने प्रदेश में बंद पड़ी चार बंद पड़ी चीनी मिलों को दोबारा शुरू किया है। दो नई चीनी मिलें स्थापित की हैं, इस क्रम में योगी आदित्यनाथ ने केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा चीनी सीजन 2023-24 हेतु गन्ना किसानों के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य को अब तक के उच्चतम 315 रुपये प्रति कुन्तल करने के निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय गन्ना किसानों के स्वावलम्बन से समृद्धि की यात्रा को नये आयाम प्रदान करेगा।
केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा किसानों के कल्याण के लिए 3,70,128.7 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ किसानों के लिए नवीन योजनाओं के विशेष पैकेज को स्वीकृति प्रदान करने के निर्णय के प्रति भी आभार व्यक्त किया है। CCEA ने किसानों के कल्याण, भूमि की उत्पादकता को पुनर्जीवित करने और खाद्य सुरक्षा एवं पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए ‘पीएम-प्रणाम’ सहित कई योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है। इसके अन्तर्गत यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की स्वीकृति प्रदान की है। गोबरधन संयंत्रों से जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता के लिए 1451।84 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं।
गोबरधन संयंत्रों से निकलने वाली पराली और जैविक खाद का उपयोग मृदा की उर्वरता बढ़ाने और पर्यावरण को सुरक्षित व साफ रखने के लिए किया जाएगा। मृदा में सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों की इनपुट लागत को कम करने के लिए सल्फर कोटेड यूरिया यूरिया गोल्ड की शुरूआत भी की जा रही है। इन योजनाओं से कृषि लागत कम होगी और उत्पादकता बढ़ेगी। साथ ही, प्राकृतिक खेती, नैनो यूरिया और ऑर्गेनिक खाद जैसे नये विकल्पों को बढ़ावा देने से कृषि में उपयोग होने वाली भूमि के स्वास्थ्य में बहुत सुधार आएगा।