डॉ दिलीप अग्निहोत्री
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर शुरू से बल देती रहीं हैं। इसके दृष्टिगत उन्होंने अनेक स्तर पर प्रयास भी किए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारत को पुन: विश्वगुरु बनाया जा सकता है। इसके लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को गंभीरता से प्रयास करने होंगे। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद एक सार्थक दिशा मिली है। उस पर चल कर शिक्षा को गुणवत्ता को सुधारने का कार्य चल रहा है। नैक मूल्यांकन की तैयारियों से भी सुधार होते हैं। विद्यार्थियों को उच्च शिक्षण संस्थानों की गतिविधियों में शामिल करना भी आवश्यक है। छत्रपति शाहू महाराज कानपुर विश्वविद्यालय में दो दिवसीय शिक्षा मंथन-2023 आयोजन का यही व्यापक उद्देश्य था। विविध सत्रों में विशेषज्ञों द्वारा उच्च शिक्षा के संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के क्रियान्वयन, नैक मूल्यांकन, नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क, क्यूएस एशिया रैंकिंग, क्यूएस ग्लोबल रैंकिंग, मातृभाषा में पुस्तक निर्माण, अनुवाद, परीक्षा सुधार जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि मंथन कार्यशाला के निष्कर्षों पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति केजी से लेकर पीजी तक में लागू की गई है। आंगनबाड़ी केंद्रों में भी बच्चों के लिए नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। गांव और आंगनबाड़ी केंद्रों तक विश्वविद्यालयों की गतिविधियों का विस्तार होना चाहिए। इसमें विद्यार्थियों की भी व्यवहारिक भूमिका निर्धारित रहती चाहिए। यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों को नैक,एन आई आर एफ, क्यू एस वर्ल्ड रैंकिंग आदि में उत्कृष्ट ग्रेड हासिल करने हेतु अपनी क्षमताओं का संवर्धन करने, गुणवत्ता को बेहतर करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान करने तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कराने जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों के लिए आयोजित हुई। व्यापक विचार-विमर्श हुए। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी व्यवस्थाओं और शिक्षा स्तर को विश्व स्तरीय बनाएं, जिससे प्रदेश के विद्यार्थी शिक्षा के लिए अन्य प्रदेशों , विदेश में पलायन न करें। अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में उत्कृष्टता से प्रभावित होकर विदेशों के विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए भारत आने लगेंगे।
विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने की क्षमता का विकास करने वाली शिक्षा दें। महाविद्यालय भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग के लिए गुणवत्ता सुधार करें। विश्वविद्यालय की सुविधाओं से ग्रामीण स्कूलों को भी जोड़ने, गावों में प्रोजेक्ट चलाने , ग्रामीण विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा क्षेत्रों की जानकारियां देने , उच्च क्षिक्षा को ग्रामीण विकास से जोड़ना चाहिए। राज्यपाल ने तकनीकी और पेशे से जुड़े कोर्स कर रहे विद्याथियों को उनके कार्यक्षेत्र की व्यवहारिक जानकारी देने पर भी जोर दिया। कहा की इन विद्यार्थियों को उनके वास्तविक कार्यक्षेत्र पर ले जाकर प्रेक्टिकल जानकारी दें।जिससे वे शिक्षा पूरी करते ही अपने व्यवसाय से जुड़ सकें।