नेपाली संसद में भारत से जुड़े अपने बयान पर PM प्रचंड ने अपनी गलती किया स्वीकार

उमेश तिवारी


काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने भारतीय कारोबारी प्रीतम सिंह से जुड़े अपने विवादित बयान पर बीते सोमवार को नेपाल की संसद में भूल स्वीकार की है। दहाल ने पिछले सोमवार को एक किताब के विमोचन पर एक ऐसा बयान दिया था, जिसने नेपाल की राजनीति में विवाद खड़ा कर दिया था। पिछले एक हफ्ते से विपक्षी दलों की ओर से उनके इस्तीफे की मांग उठ रही थी। लेकिन नेपाल की संसद में उनकी ओर से अपनी भूल स्वीकार करने के बाद ये गतिरोध खत्म होता दिख रहा है।

नेपाली संसद में क्या बोले प्रचंड

प्रचंड ने नेपाल की संसद को संबोधित करते हुए कहा है कि उनकी ओर से दिया गया हालिया बयान नेपाल के प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति के आचरण के अनुरूप नहीं था। उन्होंने यह भी कहा है कि वह भविष्य में इस तरह के बयान को लेकर सचेत रहेंगे। हालांकि, अपने इस्तीफे की मांग को लेकर उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्षी दलों की ये मांग तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा है कि ‘कहा जा रहा है कि जब तक इस्तीफा नहीं देंगे तब तक सदन नहीं चलने दिया जाएगा। नैतिक प्रश्न उठाया जा सकता है, इस्तीफे तक की बात की जा सकती है। लेकिन क्या मुझे यह बताने का मौका नहीं मिलना चाहिए कि चूक कैसे हुई?’

विपक्षी दलों का क्या है रुख?

प्रचंड के बयान का विरोध करते हुए सीपीएन-यूएमएल समेत अन्य विपक्षी दलों ने कहा था कि प्रधानमंत्री की ओर से ये बयान दिया जाना नेपाल की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने जैसा है। इस वजह से उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके साथ ही विपक्षी दलों ने यहां तक कहा कि अपनी सरकार चलाने के लिए विदेशी समर्थन लेना एक अधीनता भरा कदम है। इसके बाद प्रधानमंत्री की ओर से ये टिप्पणी आई है। लेकिन इस टिप्पणी से पहले नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल और माओवादी सेंटर में सहमति बन गई है। इसके बाद नेपाली संसद में पिछले हफ्ते से जारी गतिरोध खत्म होने का रास्ता खुला है।

बताते चलें कि नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ने सिख व्यवसायी प्रीतम सिंह के जीवन पर लिखी गयी किताब रोड्स टू द वैली के दौरान उन्हें याद करते हुए ये विवादित बयान दिया था। इस बयान में उन्होंने प्रीतम सिंह की ओर से उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के प्रयासों का जिक्र किया था। प्रचंड ने कहा था कि “उन्होंने (प्रीतम सिंह) एक बार मुझे प्रधानमंत्री बनाने के लिए बहुत मेहनत की थी। वह कई बार दिल्ली गए और काठमांडू में कई पार्टियों के नेताओं से भी चर्चा की। प्रचंड ने कहा है कि वह पारिवारिक मित्र प्रीतम सिंह से जुड़े यादों की वजह से भावुक हो गए थे। प्रीतम सिंह ने उस वक्त उनकी मदद की थी जब उनकी बेटी ज्ञानू दाहाल का दिल्ली में कैंसर के लास्ट स्टेज में इलाज चल रहा था। उन्होंने कहा है कि नेपाली संसद संप्रभु है और उन्हें अपने खिलाफ उठे सवालों का जवाब संसद में देने की अनुमति मिलनी चाहिए। प्रीतम सिंह नेपाल में एक अहम सिख हस्ती हैं। वह पचास के दशक में काठमांडु आए थे। तत्कालीन नेपाली राजा महेंद्र ने साठ के दशक में उनसे व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। वह एक लंबे समय तक नेपाल के ट्रांसपोर्ट बिजनेस में सक्रिय रहे थे।

विवादों से रहा है पुराना नाता

वैसे ये पहला मौका नहीं था जब प्रचंड अपने बयान के चलते विवादों में थे। पिछले ही महीने अपनी भारत यात्रा के दौरान प्रचंड ने भारत-नेपाल सीमा विवाद के समाधान के बारे में जो कहा उसकी काफी आलोचना हुई थी। उन्होंने तब कहा था कि सीमा विवाद को ‘बांग्लादेश मॉडल’ के माध्यम से हल किया जा सकता है, तब विपक्षी दलों ने सदन पर इस पर सवाल उठाए थे। अपने बयानों के चलते कई बार विवादों में रहने वाले प्रचंड के खिलाफ पिछले मार्च में सुप्रीम कोर्ट में उनके सार्वजनिक भाषण को सबूत के तौर पर पेश करते हुए एक मामला दर्ज किया गया था। साल 2020 में काठमांडू में आयोजित माघी उत्सव में प्रचंड ने कहा था, “आंकड़े कहते हैं कि मैंने 17,000 लोगों की हत्या की है। यह सच नहीं है। सच यह है कि सामंती राजशाही ने 12, 000 लोगों की हत्या की थी, लेकिन आप मुझे 5,000 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी देंगे तो मैं लूंगा। सशस्त्र संघर्ष की अच्छाई के साथ बुराई की जिम्मेदारी भी लूंगा। प्रचंड के खिलाफ यह मामला फिलहाल लंबित है।

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