डॉ दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ। जिस प्रदेश में सुशासन की स्थापना होती है। तब उसके सकारत्मक प्रभाव प्रत्येक क्षेत्र में दिखाई देते हैं। तब व्यवस्था का संचालन शांतिपूर्ण तरीके से होता है।तब सरकारी सेवाओं में पारदर्शी तरीके से चयन होता है। सरकार बिना भेदभाव के कार्य करती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुशासन की स्थापना की है। इसलिए वह पारदर्शी तरीके से चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देते देने का नैतिक अधिकार होता है। तभी वह चयनित अभ्यर्थियों को सुशासन और संविधान की भावना के अनुरूप कार्य करने की सलाह देते है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक संवेदनशील सरकार किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करती है।
विगत छह वर्षां में राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों में नियुक्ति की प्रक्रिया को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया है। मिशन रोजगार के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग एवं उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा पारदर्शी तथा शुचितापूर्ण चयन प्रक्रिया के उपरान्त तीन विभागों के लिए कुल पांच सौ से अधिक अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान किए।इनमें कई अभ्यर्थी राज्य निर्वाचन आयोग में चयनित हुए हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उन्हें चुनावों की शुचिता को बनाये रखते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करने के दायित्व का उचित निर्वाह करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में नगर निकाय के चुनाव में किसी प्रकार की धांधली, हिंसा अथवा बूथ कैपचरिंग की घटनाएं नहीं हुईं। यह एक मानक है। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भी किसी प्रकार की हिंसा नहीं हुई थी। हाल ही में सम्पन्न पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावों में हिंसा को सभी ने देखा है। सभी नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकार मिलने चाहिए। उत्तर प्रदेश में यह स्थिति हकीकत में देखने को मिल रही है।सचिवालय की कार्यपद्धति को ई-ऑफिस से जोड़ा गया है। शासन ने यह मानक तय किया है कि कोई भी फाइल किसी टेबल पर तीन दिनों से अधिक तक नहीं रोकी जाएगी। आपका प्रयास होना चाहिए कि फाइलों का निस्तारण तत्परता से किया जाए । मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं फाइलों को समय से निस्तारित करते हैं। विगत छह वर्षों में प्रदेश का अभूत पूर्व विकास इस प्रकार की कार्यशैली से ही सम्भव हुआ है।