रंजन कुमार सिंह
भारत के विधि आयोग (Law Commission of India) ने आम जनता को समान नागरिक संहिता के संबंध में, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाले फर्जी व्हाट्सएप टेक्स्ट, संदेशों और कॉल के प्रति सचेत किया है। विधि आयोग ने स्पष्ट किया है कि, इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर, लॉ कमीशन के हवाले से, प्रसारित और प्रचारित किए जा रहे किसी भी संदेश या तथ्य से उसका कोई लेनादेना या जुड़ाव या संबंध नहीं है। एक अस्वीकरण (disclaimer) जारी करते हुए विधि आयोग ने कहा है कि, “समान नागरिक संहिता से संबंधित कुछ व्हाट्सएप टेक्स्ट, कॉल और संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं, लेकिन इन्हें विधि आयोग द्वारा जारी नहीं किया गया या किया जा रहा है। डिस्कलेमर इस प्रकार है-
“यह देखने में आया है कि कुछ फोन नंबर व्यक्तियों के बीच घूम रहे हैं, उन्हें गलत तरीके से भारत के विधि आयोग के साथ जोड़ा जा रहा है। यह स्पष्ट किया जाता है कि विधि आयोग का इन संदेशों या कॉल्स के संबंध में कोई भागीदारी नहीं है, और न ही कोई लेना देना है। आयोग इन संदेशों या कॉल्स को यह अस्वीकरण जारी कर ख़ारिज करता है। आयोग ऐसे संदेशों का न तो कोई समर्थन करता है और न ही वह इन सब संदेशों के लिए जिम्मेदार है।
इस डिस्कलेमार में आगे कहा गया है कि, “भारत का विधि आयोग पूरी तरह से अपने आधिकारिक चैनलों के माध्यम से संचार और संवाद करता है, जिसमें इसकी वेबसाइट और आधिकारिक प्रकाशन आदि शामिल हैं। यह व्यक्तियों को समान नागरिक संहिता के संबंध में जारी किसी भी सार्वजनिक सूचना तक पहुंचने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। अतः यह आग्रह किया गया है कि जनता सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों को देखे।
14 जून को, विधि आयोग ने बड़े पैमाने पर जनता और धार्मिक संगठनों से नए विचार आमंत्रित करके UCC पर बहस फिर से शुरू करने का फैसला किया था। जो लोग रुचि रखते हैं और इच्छुक हैं वे नोटिस की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर “यहां क्लिक करें” बटन या [email protected] पर ईमेल के माध्यम से भारत के विधि आयोग को अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं। संबंधित हितधारक समान नागरिक संहिता से संबंधित किसी भी मुद्दे पर परामर्श, चर्चा, कार्य पत्र के रूप में “सदस्य सचिव, भारतीय विधि आयोग, चौथी मंजिल, लोक नायक भवन” को अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं। खान मार्केट, नई दिल्ली- 110 003।” यदि आवश्यकता हुई तो आयोग किसी व्यक्ति या संगठन को व्यक्तिगत सुनवाई या चर्चा के लिए बुला सकता है। हालांकि, इसके पहले, 2018 में, भारत के विधि आयोग ने, ‘पारिवारिक कानून में सुधार’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया था, जिसमें उसने कहा कि “इस स्तर पर समान नागरिक संहिता (UCC) के पारित होने की, न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है”।