जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
हर घर में शीशा (दर्पण) तो होता ही है। यह शीशा न सिर्फ घर की सजावट में भी अहम भूमिका निभाता है, बल्कि आपके व्यक्तित्व को निखारने में भी मदद करता हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र में इसे रखने की एक सही दिशा बताई गई है। यदि सही दिशा में यह शीशा नहीं रखा जाए, तो आपको इससे नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं। माना जाता है कि सही दिशा में सही चीज रखना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनीं रहती हैं। इसके अलावा बरकत भी आती है। सही दिशा में लगा शीशा किस्मत के दरवाजे खोलता है। वहीं गलत दिशा में शीशा लगाने से घर में कंगाली आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में दर्पण लगाते समय भी वास्तु से जुड़े कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
शीशे से जुड़े वास्तु के नियम
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शीशे को सही दिशा में लगाना चाहिए। कभी भी पश्चिम या दक्षिण दिशा की दीवार पर नहीं लगाना चाहिए। इस दिशा में शीशा लगाने से घर के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और घर में कलह बनी रहती है।
घर में दपर्ण टूटा-फूटा, नुकीला, धुंधला या गंदा नहीं रखना चाहिए। यदि ऐसा है, तो आप तुरंत इस प्रकार के शीशों को घर से बाहर कर दें। ऐसा दपर्ण रखने से घर में कंगाली आती है और तरक्की रुक जाती है।
वास्तु शास्त्रों के अनुसार घर के स्टोर रूम में कभी भी शीशा नहीं लगाना चाहिए। इस जगह शीशा लगाने से घर के सदस्यों को हमेशा मानसिक तनाव रहता है। वे सही निर्णय भी नहीं ले पाते हैं।
घर के किचन में शीशा नहीं होना चाहिए। इससे निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा घर के सदस्यों की सेहत को खराब करती है।
बेडरूम में शीशा नहीं होना चाहिए। शीशे में बिस्तर का प्रतिबिंब नहीं दिखना चाहिए। इससे बेडरूम के शीशे में खुद को देखने से भ्रम की स्थति का सामना करना पड़ता है। अगर कोई विकल्प नहीं है, तो शीशे पर हल्का पर्दा लगाकर रखें।
घर के मुख्य द्वार पर शीशे को नहीं लगाएं। मुख्य द्वार पर शीशा लगाने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन नहीं होता है। मुख्य द्वार पर शीशा लगाने से उन्नति रुक जाती है।
बाथरूम में पूर्व या उत्तर दिशा की दीवारों पर शीशा लगाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
शीशा लगाने के लिए पूर्व और उत्तर दिशा शुभ मानी जाती है। उत्तर दिशा धन के देवता भगवान कुबेर का केंद्र है, इसलिए इस दिशा में शीशा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।