डॉ दिलीप अग्निहोत्री
विपक्षी गठबंधन ने अपने नामकरण के लिए भारी भरकम शब्दों का चयन किया। लेकिन उनकी राजनीति में इनका फिट होना मुश्किल है। विपक्षी गठबंधन को इंडिया नाम दिया गया। यह जोड़ तोड़ कर बनाया गया नाम है। – इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस।असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हमारा सभ्यतागत संघर्ष भारत और इंडिया के आसपास केंद्रित है। अंग्रेजों ने हमारे देश का नाम इंडिया रखा। हमें खुद को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करने का प्रयास करना चाहिए। वैसे इस नामकरण के चलते विपक्षी पार्टियों की जबाब देही बढ़ गई है। अब उन्हें यह बताना होगा कि डेवेलपमेंट के मुद्दे पर उनकी कितनी विश्वसनीयता है। यूपीए को दस वर्ष सरकार चलाने का अवसर मिला। पश्चिम बंगाल में डेढ़ दशक से तृणमूल की सरकार है। दिल्ली में आप सरकार को भी अवसर मिला। बताया गया कि गठबंधन बैठक मे शामिल हुए दलों की ग्यारह प्रदेशों में सरकारें हैं।लेकिन बिडम्बना देखिए कि बंगलुरु बैठक में किसी ने भी अपनी सरकारों के विकास कार्यो पर एक शब्द भी नहीं कहा। वह मोदी सरकार पर हमला बोलते रहे। प्रजातंत्र, संविधान, सामाजिक सौहार्द की दुहाई देते रहे। लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि अभी बंगाल में हुए पंचायती चुनाव मे प्रजातंत्र और संविधान का कितना सम्मान हुआ। य़ह विधानसभा चुनाव के समय भी खूब हिंसा हुई थी। विपक्ष के अनेक नेता घोटालों के आरोपों का सामना कर रहे हैं। न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप कारवाई चल रही ही। इस वह संस्थाओं और प्रजातंत्र पर हमला बता रहे हैं। नेशनल हेराल्ड घोटाला, चारा घोटाला,नौकरी के बदले जमीन आदि प्रकरण अपने में बहुत कुछ कहने वाले हैं। गठबंधन में महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला भी शामिल है। कश्मीर में संवैधानिक सुधारों के दौरान इनके बयानों को देश भुला नहीं है। यह स्पस्ट होना चाहिए कि अन्य विपक्षी पार्टियां जम्मू-कश्मीर पर इनके विचारों का कितना समर्थन करेंगी।
उद्धव ठाकरे की शिवसेना का अस्तित्व संकट में है। उसके प्रवक्ता कहते हैं कि अब बीजेपी को इंडिया के खिलाफ लड़ना होगा। मतलब मात्र नामकरण से ही इनका पूरे देश में प्रभाव कायम हो गया है। सीपीआई नेता डी राजा ने जो कहा वह बंगाल पर ज्यादा लागू होता है। उन्होंने सुरक्षा, प्रजातंत्र जैसे विषय उठाए। आरोप नरेंद्र मोदी पर लगाया, निशाने पर बंगाल सरकार थी। महबूबा मुफ्ती आरोप लगाती हैं कि देश आंतरिक रूप उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। जहां हमारा अस्तित्व ही खत्म हो गया है। हमारे देश में सब कुछ दांव पर है। साफ है यह उनकी अपनी राजनीतिक पीड़ा अभिव्यक्त हो रही थी। उमर अब्दुल्ला भी बेचैन हैं। जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक सुधारों ने इनकी पुस्तैनी सियासत पर ग्रहण लगा दिया है। ममता बनर्जी से बंगाल संभल नहीं रहा है। वहां अराजकता का माहौल है। पंद्रह साल बाद भी वह विकास पर बात नहीं करतीं। लेकिन दावा करती हैं कि इंडिया को बचाना है, देश को बचाना है। भारत जीतेगा, इंडिया जीतेगा, देश जीतेगा, भाजपा हारेगी। राहुल गांधी विगत नौ वर्षो से एक ही अंदाज हैं। एक बार फिर उन्होंने कहा कि यह लड़ाई विपक्ष और भाजपा के बीच नहीं है। देश की आवाज को कुचला जा रहा है, यह लड़ाई देश के लिए है इसलिए इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) नाम चुना गया। यह NDA और INDIA की लड़ाई है। नरेंद्र मोदी और इंडिया के बीच लड़ाई है। उनकी विचारधारा और इंडिया के बीच की लड़ाई है। भारत की संस्थाओं पर हमला हो रहा है। हमारी लड़ाई बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ है। ये लड़ाई भारत बनाम बीजेपी है। ये भारत बनाम पीएम मोदी की लड़ाई है। दिल्ली की बाढ़ आपदा से बेखबर अरविंद केजरीवाल भी बेंगलुरु पहुँचे थे। वह भी देश को बचाने के लिए बेकरार थे। कहा कि एक तरफ देश को नफरत से बचाना है और दूसरी तरफ एक नए भारत का सपना लेकर हम सब इकट्ठा हुए हैं।
दूसरी तरह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की बैठक में सकारत्मक विचार विमर्श हुआ। नौ वर्षों में विकास के अभूत पूर्व कार्य हुए हैं। नरेंद्र मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर हमला बोला। कहा कि ‘इन लोगों को भ्रष्टाचार से इन लोग को बहुत प्रेम है। ये लोग परिवारवाद के समर्थक है। ये लोग परिवार प्रथम के लिए काम करते है। परिवारवादी पार्टी ने देश का विकास नहीं किया। बंगाल के पंचायत चुनाव में हिंसा हुई लकिन इन पार्टियों ने कुछ नहीं बोला। शराब घोटाले पर भी ये पार्टियां कुछ नहीं बोलती है। भाजपा ने विपक्ष में भी सकारात्मक राजनीति की। कभी नकारात्मक राजनीति का रास्ता नहीं चुना। सरकारों का विरोध करने के लिए कभी विदेशी मदद नहीं मांगी। सत्ता की मजबूरी , परिवारवाद, गठबंधन जातिवाद और क्षेत्रवाद को ध्यान में रखकर किया गया गठबंधन देश का बहुत नुकसान करता है। पहले सत्ता के गलियारे में जो बिचौलिए घूमते थे, हमने उनको बाहर कर दिया है। जन-धन, आधार और मोबाइल की त्रिशक्ति से लगभग तीस लाख करोड़ रुपए डीबीटी के जरिए लाभार्थियों के खाते में पहुंचे। लगभग तीन लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचाया है। नौ वर्ष पहले देश की अर्थव्यवस्था टॉप दस से बाहर थी, आज देश पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। देश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। नरेंद्र मोदी ने ठीक कहा कि एक ही लक्ष्य है – विकास, भारत का विकास। भारत के कोटि-कोटि लोगों का विकास। विपक्षी गठबंधन का नामकरण निरर्थक ही लग रहा है।