अवध के राम है चराचर जगत के स्वामी
वेदों मे पवित्र ऊँ कार मैं हूं-श्री कृष्ण (गीता) प्रणव (ॐ), पूर्ण परात्पर ब्रह्म का एकाक्षर मंत्र हैं…यह सृष्टि का कारक है….पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु, आकाश पंचतत्वों का कारक है…सबके भीतर समाया भी है । जिस प्रकार हाथ मे अंगूठा न हो तो खाना,पीना,लिखना,अस्त्र शस्त्र संचालन सभी असंभव है…अंगूठे को ब्रह्न का प्रतीक मानते हैं….उसी तरह हर मंत्र … Continue reading अवध के राम है चराचर जगत के स्वामी
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