- शासन में बैठे आला अफसर दोषियों पर नहीं करते कोई कार्यवाही
- जांच अधिकारी को दस्तावेज देने से जेल अधीक्षक ने किया इंकार
- DG/DIG जेल की संस्तुति का शासन में कोई मायने नहीं
आर के यादव
लखनऊ। जेल के अंदर से मोबाइल फोन पर धमकी देने वाले मामले में भी शासन ने कोई कार्यवाही नहीं की। कार्यवाही नहीं होने से बेलगाम हुए जेल अफसर ने जांच अधिकारी को दस्तावेज तक देने से इंकार कर दिया। बेअंदाज इस अफसर ने दस्तावेज नहीं देने की बात आला अफसर को लिखकर तक दे दी। दिलचस्प बात यह है कि दोनों मामलो में विभागाध्यक्ष ने दोषी अफसर के खिलाफ कार्यवाही की संस्तुति भी की। इसके बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। यह हाल प्रदेश की योगी सरकार के नौकशाहो का है। इन घटनाओं के बाद भी दोषी अफसर चार साल से अभी भी उसी जेल पर जमा हुआ है।
मामला राजधानी की जिला जेल का है। इस जेल में प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति समेत कई नामचीन अपराधी निरुद्ध है। सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों राजधानी की जिला जेल के अंदर से गायत्री प्रजापति ने वाराणसी के एक व्यक्ति को मोबाइल फोन पर धमकी दी। इस मामले की वाराणसी के एक थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। मामला सुर्खियों में आने पर तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने इसकी जांच लखनऊ परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी को सौंपी। जांच अधिकारी ने जांच में जेल के वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी के शिथिल नियंत्रण का हवाला देते हुए उनके खिलाफ निलंबन और विभागीय कार्यवाही किए जाने की संस्तुति की।
इसी प्रकार जेल के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार और जेल में दैनिक उपयोग की वस्तुओं को मनमाफिक दामों पर खरीद फरोख्त लाखों का गोलमाल किए जाने की बंदियों ने सामूहिक शिकायत की। इसकी जांच भी आईजी जेल ने परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी को सौंपी। सूत्रों का कहना है कि जांच अधिकारी ने जब जेल के वरिष्ठ अधीक्षक से दस्तावेज मांगे तो उन्होंने दस्तावेज देने से इनकार कर दिया। बेखौफ इस अधीक्षक ने दस्तावेत नहीं देने की बात लिखकर दे दी। सूत्रों की माने तो दस्तावेजों मनमाने दामों पर वस्तुओं की खरीद फरोख्त का खुलासा होने की दहशत में रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया।
इन दोनों मामलों में डीआईजी की संस्तुति के बाद तत्कालीन आईजी जेल ने भी शासन से कार्यवाही करने की संस्तुति की। इसके बाद भी दोषी जेल अधीक्षक के खिलाफ शासन में बैठे आला अफसरों ने कोई कार्यवाही नहीं की। पिछले दिनों शासन ने दर्जनों जेल अधिकारियों के तबादले किए लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त यह अधीक्षक आज भी उसी जेल पर जमा हुआ है। उधर इस संबंध में डीआईजी जेल मुख्यालय एके सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला संज्ञान में नहीं है। पता करने के बाद ही बता पाएंगे।
जेल में मोबाइल नहीं होने की खुली पोल
राजधानी की लखनऊ जिला जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं होने के अधिकारियों के दावों की पोल खुल गई। जेल में एक असरदार बंदी के जेल का अंदर से फोन का इस्तेमाल होने की घटना ने इस सच का खुलासा कर दिया। जेल के अंदर से मोबाइल पर वाराणसी के एक व्यक्ति को धमकी देने और मामले की एफआईआर होने ने जेल अधिकारियों के दावे धरे के धरे रह गया। घटना ने साबित कर दिया कि जेल के अंदर मोबाइल फोन का इस्तेमाल हो रहा है। अब जेल अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।