- शीघ्र होगी उनकी रिहाई
उमेश तिवारी
नौतनवा/महराजगंज। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी अपनी ठसक रखने वाले अमरमणि त्रिपाठी अभी तक पत्नी के साथ आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब शीघ्र ही उनकी रिहाई होने जा रही है। उत्तर प्रदेश की राजनीति, बाहुबलियों और रसूखदार विधायकों की कहानियों से भरी हुई है। अपराधी से नेता बनने की कहानियां तो आपने फिल्मों में भी देखी होगी लेकिन मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में एक नेता के अपराधी बनने की कहानी सामने आई थी। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी अपनी ठसक रखने वाले अमरमणि त्रिपाठी 23 सितंबर 2003 से पत्नी मधुमणि त्रिपाठी के साथ जेल की सजा काट रहे हैं। अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की इस कहानी में राजनीति के दांव-पेंच से लेकर इश्क और मर्डर तक सब कुछ है।
बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड
कविताओं की दुनिया में मधुमिता का नाम तो जाना पहचाना था लेकिन अखबारों की सुर्खियों में उनका नाम पहली बार 9 मई 2003 को सुनाई दिया। लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में उभरती वीर रस की कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पोस्टमार्टम में सामने आया कि मधुमिता गर्भवती थी। डीएनए जांच कराई तो पिता की पहचान अमरमणि त्रिपाठी के तौर पर हुई और यहीं से एक विधायक के वर्चस्व का किला ढहने लगा।
हर दल के साथी रहे अमरमणि
अमरमणि त्रिपाठी की पहचान एक ऐसे सियासतदान के तौर पर थी, जो हर सत्ता के साथी थे, उनका राजनीतिक सफर हर पार्टी के कार्यकाल में जारी रहा, सियासी गलियारों में वह कभी साइकिल पर सवार दिखे तो कभी हाथी की सवारी करते हुए नजर आये, उन्होंने कमल का फूल पकड़ भी सत्ता का भोग किया। राजनीतिक हलकों में होने वाली चर्चाओं ने उन्हें बाहुबली बना दिया था लेकिन हत्याकांड की खुलती परतों ने उसी बाहुबली को हत्याकांड का दोषी साबित कर दिया।
CBI को सौंपा गया केस
बाहुबली होने चलते अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ इस मामले ने कब राजनीतिक रंग ले लिया किसी को पता ही नहीं चला। केस की शुरुआत के साथ ही अमरमणि पर जांच प्रभावित करने के आरोप लगते रहे। जिसके बाद इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि त्रिपाठी के साथ, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित चतुर्वेदी और दो साथी संतोष राय और प्रकाश पांडे के नाम की चार्जशीट दाखिल कर दी।
जेल में काट रहे हैं सजा
इस हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड के हरिद्वार कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई , बाद में उन्हें सजा काटने के लिए गोरखपुर के मंडलीय कारागार में भेज दिया गया।
कैसे हुआ मधुमिता और अमरमणि का संपर्क
इस मामले को लेकर कई पड़ताल की गई और उस कनेक्शन को खोजने की कोशिश की गई जिसके जरिए एक बाहुबली नेता का संपर्क तेज तर्रार कवि से हुआ। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अमरमणि की मां को कविताएं सुनने का शौक था। मधुमिता अपने अंदाज के लिए जानी जाती थी। उनकी कविताओं में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक निशाने पर हुआ करते थे। अमरमणि की मां मधुमिता से बेहद प्रभावित हुईं और अपने घर आमंत्रित किया। मधुमिता अक्सर, अमरमणि के घर जाने लगीं, यहां उनकी दोस्ती अमरमणि की बेटियों से हो गई, पत्नी से भी अच्छे संबंध हो गए। इसी दौरान अमरमणि भी अपना दिल दे बैठे।
अमर मणि त्रिपाठी का पहले भी रहा है आपराधिक रिकॉर्ड
ऐसा नहीं है कि अमरमणि का नाम पहली बार किसी आपराधिक गतिविधि में सामने आया था। इसकी शुरुआत 2001 में ही हो चुकी थी। इस साल उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक बड़े कारोबारी का बेटा किडनैप हुआ था। जांच में पता चला कि किडनैपर्स ने बच्चे को अमरमणि के घर पर ही रखा था। इस मामले में भी उनकी खासी किरकिरी हुई थी और मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस मामले के दो साल बाद वह मधुमिता हत्याकांड में पकड़े गए।