उमेश तिवारी
महराजगंज। चर्चित कवियित्री मधुमिता शुक्ला के हत्या के मामले में दोषी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आज शुक्रवार की रात में इलाज करा रहे गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में जेल का रिहायी का परवाना दे दिया गया। गोरखपुर के जिलाधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित यह परवाना आज जिला जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने अमर मणि त्रिपाठी को प्राप्त करा दिया। त्रिपाठी के पुत्र एवं पूर्व विधायक अमन मणि त्रिपाठी ने बताया कि उनके पिता अमरमणि की तबीयत ठीक न होने के कारण वह अभी कुछ दिनों तक गोरखपुर मेडिकल कालेज में रहेंगे और इलाज करवायेंगे। उन्होंने कहा कि जब चिकित्सक छुटटी की सलाह देंगे तभी डिस्चार्ज कराया जायेगा।
मालुम हो कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी की समय से पहले ही रिहाई का शासनादेश हो गया है। अमरमणि त्रिपाठी को मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वह 23 सितंबर 2003 से जेल में बंद हैं। अमरमणि के अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कारागार प्रशासन और सुधार विभाग ने यह आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले इस तरह के कैदियों की रिहाई पर विचार करने की सलाह सरकार को दी थी। इसके बाद अमरमणि ने भी अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर ही सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका दायर की गई। इसके बाद 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा कि उनकी उम्र 66 वर्ष होने और करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हों तो रिहाई कर दी जाए। इसी आदेश के बाद अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई का आदेश जारी हो गया।
बताते चलें कि अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक और सामाजिक जीवन कवियित्री मधुमिता शुक्ला के प्यार में बर्बाद हो गया। लखीमपुर की कवियित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि के संपर्क में आईं तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें पावरफुल बना दिया। अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गए। मधुमिता प्रेग्नेंट हो गईं। उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उन्होंने नहीं करवाया। इसी बीच नौ मई 2003 को सात महीने की गर्भवती मधुमिता शुक्ला की लखनऊ में उनके आवास में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हाई प्रोफाइल हत्या काण्ड में संतोष राय और पवन पांडे के साथ अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी और भतीजे रोहित मणि त्रिपाठी को आरोपी बनाया गया। प्रदेश में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी मंत्री थे।
अमरमणि को सजा दिलाने मधुमिता की बहन निधि शुक्ला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। उन्होंने याचिका दायर करते हुए केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की। कोर्ट ने 2005 में केस उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया। 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन सजा बरकरार रही। सुप्रीमकोर्ट ने आज सुनवाई के बाद अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। इस तरह अमरमणि त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बताते चलें कि मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने अमर मणि त्रिपाठी की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रोक लगाने की याचिका दायर की थी जिस पर कल गुरूवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया। सुप्रीमकोर्ट के इस आदेश के बाद अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
बता दें कि नौ मई 2003 को राजधानी लखनऊ में कवियित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस हाई प्रोफाइल हत्या हत्याकांड में अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी के साथ दो अन्य सहयोगी भी दोषी पाए गए थे। अमर मणि त्रिपाठी 23 सितंबर 2003 से अभी तक जेल में बंद हैं। इधर जेल में उनके अच्छे आचरण के बाद सुप्रीमकोर्ट ने अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को रिहा करने का आदेश दे दिया था। इस संबंध आठ हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा है लेकिन अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक नहीं लगाया है। अब दोनों दंपति आज रिहा हो गये। जेल से रिहा होने की सूचना जैसे ही नौतनवां उनके आवास पर पहुंची समर्थक खुशी से उछल पड़े। अमर मणि अमन मणि जिंदाबाद के नारों से पूरा परिसर गूंज उठा। नौतनवां नगर के अध्यक्ष बृजेश मणि त्रिपाठी ने उनका चित्र रखकर मिठाई खिलाया, पटाखे फोड़े गए। मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। आज सुबह से अब तक यह कार्यक्रम जारी है।