चांदी की राखियों की बिक्री नाममात्र,स्वर्णकार परेशान
धौरहरा खीरी । भाई-बहन के पवित्र प्रेम के त्यौहार रक्षाबंधन पर भी महंगाई की मार दिखाई दे रही है। बाजारों में 10 रुपये में मिलने वाली राखी इस बार 30 से 40 रुपये में मिल रही है। रक्षाबंधन के त्यौहार को लेकर क्षेत्र में दुकानें सजी हुई है। रंग बिरंगी और अलग-अलग डिजाइन की राखियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए बाजार में बहनों की भारी भीड़ दिखाई दे रही है। लेकिन यह बहने महंगी राखियां देखकर काफी परेशान हो रही है। इतना ही नहीं इस बार चांदी से बनी राखियां भी महंगाई की भेंट चढ़ी हुई है।
स्वर्णकार का कहना है कि चांदी की राखियां इस बार नाम मात्र बिक रही। जबकि पिछले वर्षों में चांदी से बनी राखियों की बिक्री अधिक हुई थी। वहीं महंगाई को लेकर हलवाई भी असमंजस में दिखाई पड़ रहे है जो पिछले वर्षों की तुलना इस बार कम मिठाई बना रहे है।
भाई और बहन के अटूट प्रेम और सम्मान का त्योहार रक्षाबंधन गुरुवार को है। इसीलिए बाजार त्यौहार के नजदीक देख सजे हुए हैं, रंग बिरंगी सुंदर राखियां बाजार में दिखाई दे रही है। लेकिन इस रक्षा सूत्र पर भी महंगाई का असर देखने को मिल रहा है। आमतौर पर 10 रुपये में जो राखिया मिलती थी,वे इस बार 30 से 40 रुपये में मिल रही है। महंगी राखियां देखकर अपने भाइयों के लिए राखी खरीदने आई बहने भी परेशान हैं। महिलाओं का भी कहना है कि 5 से ₹10 में जो राखियां उन्हें बाजार में मिलती थी। इस बार उनके दाम दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं।
महंगाई देख सस्ती राखियाँ खरीद रही बहनें,चांदी की राखियों की बिक्री नाममात्र
बाजारों में राखियों की कीमतों में कई गुना उछाल देख तराई क्षेत्र की बहनें साधारण धागे से बनी राखियां अपने भाइयों के लिए खरीद रही हैं। लेकिन इस बार चांदी से बनी राखियां ना के बराबर बिक रही हैं। क़स्बा खमरिया के स्वर्णकार पप्पू का कहना है कि पिछली बार की तरह ही वह इस बार भी भारी मात्रा में चांदी की राखियां बेचने के लिए लेकर आए थे। लेकिन इस बार चांदी से बनी राखियों को गिने चुने लोगों के अलावा कोई नहीं खरीद रहा है। जबकि पिछले वर्षों में जमकर चांदी से बनी राखियों की बिक्री हुई थी। जिसको लेकर स्वर्णकार चांदी से बनी राखियां नहीं बिकने के कारण परेशान है। क्योंकि राखियों का स्टॉक नहीं बिका तो स्वर्णकार की कमाई भी नहीं होगी। महंगाई ने रक्षाबंधन के त्यौहार की रोनक पर भी ग्रहण लगा दिया है। हालांकि महंगाई के बीच भी बहनों में भाई की कलाई पर राखी बांधने का जोश बना हुआ है। पूरे उत्साह के साथ महिलाएं बाजारों में आ रही हैं और अपने भाई के लिए मनपसंद राखियों की ख़रीददारी कर रही है।
हलवाइयों ने महंगाई के चलते कम बनाई मिठाई
ईसानगर क्षेत्र के क़स्बा खमरिया,कटौली,ईसानगर,रेहुआ, समेत अन्य कस्बों में इस बार मिठाई की दुकानों पर भी महंगाई का असर दिखाई पड़ रहा है। दूध के साथ मेवें,मैदा,खोया,तेल समेत अन्य वस्तुओं की कीमतों में हुई बढोत्तरी के चलते पिछले वर्षों की तुलना इस बार हलवाई कम मिठाई बना रहे है। इस बाबत ईसानगर के हलवाई विकास गुप्ता बताते है कि महंगाई के चलते मीठा की बिक्री पर भी असर पड़ा है। जिसको ध्यान में रखते हुए इस बार कम मिठाई बनाई जा रही है। वहीं क़स्बा खमरिया के मशहूर मिठाई के दुकान मालिक रामेन्द्र गुप्ता कहते है कि तेल,रवा,मैदा,खोया,दूध,चीनी व मेवें की कीमतों में हुई जमकर बढोत्तरी के चलते विक्री कम होने का अनुमान लगाकर उसी हिसाब से मीठा कम बनवाया जा रहा है। इसी पर्व पर जमकर दुकानदारी होती है इस बार महंगाई की वजह से इस पर भी असर पड़ना लाज़मी है।