बलरामपुर गार्डन में बीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले का समापन

  • किताबों की बिक्री एक करोड़ पार,

लखनऊ । यूं तो किताबों की बिक्री एक करोड़ रुपये पार कर गयी, पर बलरामपुर गार्डन अशोक मार्ग में पिछले 11 दिनों से चल रही लेखकों की चर्चाएं, कविताएं-कहानियों के स्वर, गीत-नृत्य और पुस्तक प्रेमियों की चहल-पहल आज रात थम गयी। केटी फाउण्डेशन और फोर्स वन बुक्स की ओर से यहां 22 सितम्बर से चल रहे 20वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले ने मधुर यादों के साथ अगले वर्ष तक के लिए विदा ले ली। आयोजकों ने साहित्यिक आयोजनों के बीच स्मृतिचिह्न देकर स्टालधारकों को सम्मानित किया।

ज्ञानकुम्भ थीम पर आधारित मेले के बारे में स्टालधारक राहुल ने बताया कि मेला इस बार पिछले कई वर्षों से अच्छा रहा। छुट्टियों के तीन दिन भारी भीड़ में बहुत मेले में बहुत अच्छी रही। संयोजक मनोज सिंह ने बताया कि इस बार पुस्तकों की बिक्री उम्मीद से बढ़कर आज अंतिम दिन एक करोड़ रुपये के पार चली गयी। हमारा उत्साह बढ़ा है। अगले वर्ष हम कुछ और नयी योजनाओं के साथ मेला आयोजित करेंगे। सह संयोजक आस्था ढल का कहना था कि कोरोना के बाद इस वर्ष का मेला अपनी वर्षों पुरानी रौनक लौटा लाया। मेले में अच्छी बिकने वाली पुस्तकों में नामचीन लेखकों की किताबों के संग ही पंकज प्रसून की किताब लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं, दयानन्द पाण्डेय की विपश्यना में प्रेम और सुधीर मिश्र की मुसाफिर हूं यारों की खूब चर्चा रही।

मेला मंच पर आज आयोजकों की ओर से समापन समारोह में सहयोगी राजवीर रतन, यूपी त्रिपाठी, राजकमल, वाणी प्रकाशन, राजपाल, दिव्यांश पब्लिकेशन, लोकभारती, प्रभात प्रकाशन, संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली, सामायिक, सेतु, सम्यक, प्रकाशन संस्थान, प्रकाशन विभाग, उ.प्र.हिंदी संस्थान इसके साथ ही जनगणना निदेशालय यूपी, राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद, उर्दू अकादमी दिल्ली, सस्ता साहित्य मंडल, रेडियो सिटी, विजय स्टूडियो, बुबचिक, ऑरिजिंस, स्टार टेक्नोलॉजीज, रेट्रोबी, ऑप्टिकुंभ आदि को स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रमों का आरम्भ लक्ष्य साहित्यिक संस्थान की काव्य गोष्ठी से हुआ। अरुणकुमार त्रिपाठी की पुस्तक वैज्ञानिक सुंदरकाण्ड का विमोचन और फिर मानसरोवर साहित्य अकादमी का पुस्तक विमोचन व काव्य समारोह हुआ। इससे पहले दिव्यांशी, यशी इत्यादि बच्चों ने नृत्य व गायन प्रस्तुत किया। आर्य समाज के संगीतमय वैदिक समारोह वेदों की ओर लौटो कार्यक्रम में वक्ताओं ने वैदिक ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। देर शाम भुशुण्डि साहित्य संस्थान की ओर से अनिल बांके के संयोजन में आयोजित काव्य समारोह में हास्य, शृंगार, ओज भरे गीत व कविताओं के स्वर गूंजे।

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