- बसुदेव देवकी सन सनाये.. नंद के द्वार भयो अति भीर
- दधिकांदव से मच गई कीच
- ढोल तासे बजे नाचने गाने लगे बृजवासी
मथुरा के कारागार मे भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की रात जो घटनाएं घटीं, उसकी किसी को कोई कल्पना नहीं थी। स्वयं बसुदेव देवकी अर्द्ध विक्षिप्त से होगए। उन्हें सूझ नहीं रहा था,ये क्या होरहा है? इधर गोकुल मे दिनभर उत्सव का सा वातावरण रहा,अधिक आयु में उनके घर बच्चों की किलकारी जो गूंजी थी।
बदहवास हुए बसुदेव-देवकी
भोर होते तक नींद नहीं आई बसुदेव देवकी को। बदहवास बसुदेव समझ नहीं पाये …रात भर मे क्या होगया। भगवान की योगमाया के प्रभाव से श्रीकृष्ण का जन्म,उन्हें आंधी पानी की मूसलाधार वर्षा के बीच यमुना पार कर से गोकुल लेजाना याद न रहा। किंतु देवकी का जाया दिख नहीं रहा। कंसका आना और उनके हाथ से छीन कर कन्या का पटका जाना याद कर दुखी होगए…फिर एक बार बसुदेव अवाक थे,देवकी को अश्रुपात थम नहीं रहा। उन्हीं के भाई ने आठवी संतान भी खत्म करदी ,कुछ याद नहीं आरहा था,कि रात मे क्या हुआ? चतुर्भुज नारायण का दर्शन उनकी बातें..शिशु कहां गया? कौन आया,गया? को याद कर सिलसिला बैठा रही थी। पर तारतम्य नहीं बन पारहा था। कंस का उसके हाथ से संतान छीन लेना और कन्या का देवी रूप मे आकाश वाणी… अनक रही थी। शायद आकाश वाणी मे ~’कंस को मारने वाला सुरक्षित है’ कुछ ऐसी बातें थीं। भगवान का नाम लेकर दुहाई मांगने लगी ‘हे नारायण हमारा लल्ला जहां भी हो सुरक्षित रहे।’
भय-आशंका मे घिरा कंस
इधर कंस को फिर कन्या द्वारा की गई दूहरी आकाश वाणी ने नींद उड़ा दी। मेरा मारने वाला पैदा होगया और सुरक्षित है, उस पर उसे विश्वास नहीं होपारहा। लेकिन आकाश वाणी गलत नहीं होसकती। फिर कारागार से बाहर जाने का कोई सवाल नहीं उठता। पहरेदारो ने ऐसी किसी बात की सूचना नहीं दी है। फिर भी गया होगा तोब्रज क्षेत्र के अलावा भला कहां जासकता है? अब तो पता लगाना होगा… नवजात शिशु के जन्मलेने की कहां कहां सुचना मिल रही। उसने अपने आदमी चारो तरफ लगा दिये।
गोकुल में नंदोत्सव की मची धूम
इधर भोर हुई तो रोहिणी जी ने सोई यशोदा को जगाया..’अरी यशोदा देख तेरे तो लल्ला भयो है।शोर मचाती बाहर भागीं…अरे महर जी यशोदा को छोरो भयो है।’ नंद बाबा ने सुनी तो कानों पर सहसा विश्वास नहीं हुआ। देखने चौखट के भीतर है। शिशु को देखा तो विभोर होगए। नेत्र से खुशी के आंसू छलक पड़े। सूप में धान लेकर महरिन के घर गए… आकर उसने नाल काटी और ढेर सारा नेग ले गई, दिन निखलते चौरासी कोस ब्रज मे शोर होगया। वृद्धावस्था में नंद यशोदा के घर संतान हुई। क्या भगवान ने चमत्कार किया है, ब्रज गोप और गोपांगनाओं की भीड़ नंद बाबा के घर जुटने लगी। छांछ के बड़े बड़े मटके खुल गए उसमे हल्दी डालकर मिलाया… फिर उसमे दूर्वा डाल कर एक दूसरे पर छिड़कते नाचने गानै और गले मिलने लगे।
नंद घर आनंद भयो जै कन्हैया लाल की।
आनंद उमंग भयो जै जसुदा लाल की।।
हाथी घोड़ा पालकी जै कन्हैया लाल की।।
नंद को आनंद भयो जै कन्हैया लाल की।।
नंद बाबा भी मगन होकर हो हो कर नाचने लगे। बीच बीच मे न्यौछावर लुटाते गए। इधर महिलायें भी कम न थीं। उन्होंने नंद- महरि यशोदा को घेरे रखा। आंगन मे दधि हल्दी से कीचड़ मच गया। यशोदा ने दोनो लल्ला श्रीकृष्ण बलराम को पालने मे रख कर भेट न्यौछावर दिए.. एक एक कर सभी गोपियों को अँकबार दिया,बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूए। फिर जल जलपान कर बधैया देतै लोग देर शाम तक विदा हुए। नंद बाबा छठीयारे मे आने के लिए लोगों को आमंत्रित भी किया।