तिब्बतियों ने कहा G20 चीन-तिब्बत मुद्दे पर ध्यान दे, राजधानी में प्रदर्शन किया

नई दिल्ली। भारत में निर्वासन का जीवन रहे तिब्बतियों ने G20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए यहां आ रहे विश्व के प्रमुख देशों के नेताओं से वैश्विक चर्चाओं के दौरान चीन-तिब्बत मुद्दे और उस पर प्राथमिकता देने की मांग को लेकर शुक्रवार को मजनू-का-टीला में प्रदर्शन किया। राजधानी में तिब्बतियों की एक प्रमुख बस्ती मजनू-का-टीला के पास ‘तिब्बती युवा कांग्रेस’ के तत्वावधान में आयोजित इस प्रदर्शन के दौरान वहां पुलिस का व्यापक बंदोबस्त किया गया था। यह जगह प्रगति मैदान से दूर है जहां 9-10 सितंबर को जी20 शिखर बैठक होने जा रही है।

G20 शिखर बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आ रहे है। चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे। तिब्बती युवा कांग्रेस ने एक बयान में कहा, कि हम भारत के प्रधानमंत्री और विश्व नेताओं से G20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीन-तिब्बत मुद्दे को प्राथमिकता देने की अपील करते हैं। हम चीन से तिब्बत में मानवाधिकारों के हनन पर ध्यान देने और हमारी सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने वाली प्रथाओं को समाप्त करने की मांग करते हैं। युवा तिब्बतियों के इस संगठन ने राजधानी में जी20 बैठक की मेजबानी के लिए भारत की हार्दिक सराहना और सफलता की कामना की है। संगठन ने कहा, कि हम चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने में वैश्विक एकजुटता चाहते हैं। साथ ही, तिब्बतियों को आने वाली गंभीर चुनौतियों से निपटने में एकता प्रोत्साहित करते हैं।

उनका कहना है कि तिब्बत पर चीनी सरकार के जबरन कब्जे ने तिब्बत पर लंबे समय तक बुरा प्रभाव डाला है, जिसके कारण परमपावन चौदहवें दलाई लामा और तिब्बतियों को निर्वासन के लिए मजबूर होना पड़ा। इस कब्जे का असर हमारी सीमाओं से परे भी महसूस किया जा रहा है। चीन के 2023 के नक्शे में हालिया क्षेत्रीय दावे और उसकी विस्तारवादी महत्वाकांक्षी सभी पड़ोसी देशों के लिए चिंताजनक की बात है। संगठन ने कहा है , कि हम अपनी आशा में दृढता रखते हैं कि भारत वैश्विक मंच पर स्वतंत्रता, न्याय, समानता और शांति के सिद्धांतों का समर्थन करेगा। तिब्बती सदस्य प्रतिभागियों और हितधारकों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि तिब्बती युवा कांग्रेस शांति के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रतिष्ठित आयोजन के दौरान गड़बड़ी पैदा करने का कोई इरादा नहीं रखते हैं।

बयान में कहा गया है कि 1951 का तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के उपाय अनुरूप 17सूत्री समझौता को दबाव में हस्ताक्षरित करवाने की चीन की संदिग्ध कूटनीति प्रथाओं का एक प्रमाण दर्शाता है। बयान में यह भी कहा गया है कि फ्रीडम हाउस के मेट्रिक्स में दक्षिण सूडान और सीरिया जैसे देशों की तुलना में तिब्बत दुनिया के सबसे अल्पमुक्त क्षेत्रों में होकर बिगड़ती स्थिति में दिखना गंभीर चिंता का विषय है। चीन की नीतियों के कारण अनगिनत तिब्बती बच्चों को उनके घरों से दूर किया गया है। गौरतलब है कि तिब्बती युवा कांग्रेस द्वारा इसी वर्ष अप्रैल और मई में ‘तिब्बत मैटर्स मार्च’ (तिब्बत का भी महत्व है) निकाला गया था। इस अभियान में 87 प्रतिभागियों ने भारत के तीन राज्यों में कुल 650 किलोमीटर तक की जनजागरण यात्राएं निकालीं। (वार्ता)

Delhi

1984 सिख दंगा मामला : इन दो सिखों की हत्या में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को अदालत ने दोषी ठहराया

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार को दिल्ली की एक अदालत ने सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार इलाके में दो लोगों की हत्या के मामले में बुधवार को दोषी करार दिया। मामला एक नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से संबंधित है। विशेष न्यायाधीश कावेरी […]

Read More
Delhi

आतिशी का फ़्लाइंग किस और कमरिया लपालप

दयानंद पांडेय आतिशी जब दिल्ली की घोषित खड़ाऊं मुख्य मंत्री बनी थीं तब मुख्य मंत्री कार्यालय में जिस कुर्सी पर अरविंद केजरीवाल बैठते थे तब उस पर नहीं बैठीं। क्या तो इस कुर्सी पर अरविंद जी ही बैठेंगे। दूसरी कुर्सी लगा कर बैठीं। मेज वही थी। ऐसी बात तो पतिव्रता राबड़ी यादव ने भी बिहार […]

Read More
Delhi homeslider

दो टूक :  शराब शीशमहल और ‘जहरीली’ यमुना ने डुबोयी केजरीवाल की नैया?

राजेश श्रीवास्तव दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और 27 साल बाद एक बार फिर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन गयी। अरविद केजरीवाल ने 2013 में जिस एंटी करप्शन मूवमेंट को लेकर चुनाव जीता। वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि पार्टी को करप्शन ही ले डूबा। सड़क पर आंदोलन करने वाले केजरीवाल को शराब […]

Read More