डॉ दिलीप अग्निहोत्री
G20 सम्मेलन में भारतीय चिंतन का उद्घोष हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संगठन को वसुधैव कुटुम्बकम का ध्येय वाक्य प्रदान किया। दुनिया की किसी सभ्यता संस्कृति वसुधा को कुटुम्ब मानने का विचार नहीं रहा। इसकी उचित अभिव्यक्ति भारत संबोधन से ही सम्भव है। G20 बैठक के लिए राष्ट्रपति भवन के आमन्त्रण में प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखना सर्वथा उचित था। G20 सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो तिहाई आबादी है। ऐसे में भारत नाम पर विवाद की आवश्यकता नहीं थी। भारतीय विरासत संस्कृति का उद्घोष इसी के माध्यम से किया जा सकता है। विपक्ष ने इसे अनावश्यक रूप से मुद्दा बना दिया। उसके अनुसार सरकार ने उसके गठबंधन से घबड़ा कर यह किया है। विपक्षी गठबंधन ने तुकबन्दी के द्वारा I.N.D.I.A नाम धारण किया है। जबकि सत्ता पक्ष को इससे घबड़ाने की आवश्यकता ही नहीं है। I.N.D.I.A के सदस्य दल ही इसको विवादित बना रहे हैं।
मुंबई में विपक्षी इंडिया की बैठक में जुड़ेगा भारत जीतेगा इंडिया थीम तय की गई थी। इसके पहले राहुल गांधी ने मोहब्बत की दुकान शुरू की थी। लेकिन गठबंधन के कई दलों का आचरण विभाजनकारी है। इसमें श्रीरामचरित मानस पर हमला बोला जाता है। हिन्दू धर्म को धोखा बताया जाता है। सनातन धर्म के समूल उन्मूलन का आतंकी ऐलान किया जाता है। इं।डि।या की थीम है जुड़ेगा भारत। इसके घटक ही बहुसंख्यकों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। हिन्दुओं के उन्मूलन नाम से सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। UPA ही I.N.D.I.A का मुखौटा लगा कर सामने है। UPA घोटालों और तुष्टीकरण में बदनाम हुआ था।वही लोग I.N.D.I.A में हैं। इसके दिग्गज नेता ही हिन्दुओं के प्रति नफरत की दुकान सजाये बैठे हैं।