जम्मू। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घरेलू रक्षा कंपनियों से अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश करने के लिए कहा है जिससे कि भारत इस क्षेत्र में तेजी से दौड़ लगा रही दुनिया के साथ तालमेल बैठा सके। सिंह ने मंगलवार को यहां सेना की उत्तरी कमान, रक्षा विनिर्माताओं की सोसायटी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जम्मू द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, कि मैंने हमेशा से इस बात पर जोर दिया है, कि अनुसंधान और विकास हमारे लिए इस तेज गति से भागती हुई दुनिया के साथ तालमेल बिठाने में मददगार सिद्ध होता है। इसलिए अनुसंधान और विकास किसी भी देश के विकास के लिए, उसके आधारभूत तत्वों में से एक होता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने रक्षा विनिर्माताओं की समस्याओं को सुना है और उनका समाधान करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का परिणाम है कि पिछले वित्तीय वर्ष में हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन रिकार्ड एक लाख करोड़ रुपए, और रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 16,000 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अनुसंधान और विकास के लिए पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ जोखिम होता है कि कई बार वह परिणाम न मिले जिसको लक्ष्य बनाकर कार्य शुरू किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद इस पर ध्यान देना पड़ेगा। रक्षा मंत्री ने कहा, कि एक राष्ट्र के रूप में हम एक संक्रमण के चरण से गुजर रहे हैं। यदि हमें कोई प्रौद्योगिकी अनुकरण या फिर हस्तांतरण के जरिये मिलती है। तो इसमें भी कुछ गलत नहीं है, लेकिन हम इन आधारों पर एक विकसित राष्ट्र बनने का सपना नहीं देख सकते। उन्होंने कहा कि भारत को अपने पेटेंट फाइल करने पडेंगे और अच्छा खासा निवेश करना होगा हो सकता है। शुरू में मुनाफा इतना नहीं हो लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे। (वार्ता)