नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए “पीएम विश्वकर्मा” योजना की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की घोषणा इस वर्ष 15 अगस्त को मोदी ने लालकिले की प्राचीर से अपने राष्ट्र संबोधन के दौरान की थी। यह योजना पूरी तरह से केंद्र सरकार की होगी और इसके लिए 13 हजार करोड़ रुपए निर्धारित किये गये हैं। यह योजना पूरे देश में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा।
इनमें बढ़ई, नाव निर्माता, हाथ से शस्त्र बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची जूता, जूता कारीगर, राजमिस्त्री, टोकरी-चटाई-झाड़ू निर्माता-कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, माला बनाने वाला, धोबी,दर्जी और मछली पकड़ने का जाल निर्माता शामिल हैं।
योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी। कारीगरों को बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपए का टूलकिट प्रोत्साहन, दो किस्तों में एक लाख रुपए और दो लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा पांच प्रतिशत की रियायती ब्याज दर, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता भी उपलब्ध होगी। इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों के पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित अभ्यास को मजबूत करना है। (वार्ता)