‘एंकर’ मशीन का एक ‘पुर्जा’ मात्र है…

डॉ. ओपी मिश्रा

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव एलाइंस’ यानि INDIA ने बाकायदा प्रेस नोट जारी करके कहा है कि भविष्य में हमारे प्रवक्ता और नेता 14 एंकरो के कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे। प्रेस नोट में जिन एंकरों के नाम लिखे गए हैं उनमें एक अर्णव गोस्वामी को छोड़कर बाकी 13 पत्रकार अपने-अपने संस्थानों में नौकरी करते हैं। अर्णव गोस्वामी अपने चैनल रिपब्लिक भारत के न केवल मालिक है बल्कि संपादक और एंकर भी हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाने की इंडिया की जो बात है वह तो समझ में आती है। जबकि बचे 13 एंकर जिन्हे आप एंकर के बजाय अगर न्यूज़ रीडर कहे तो ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि यह मुकम्मल मशीन नहीं बल्कि मशीन का एक पुर्जा है। अब चूंकि यह नौकरी करते हैं इसलिए वही बोलते हैं और दिखाते हैं जो इनका प्रोड्यूसर, संपादक और मालिक चाहता है। इसलिए न्यूज़ रीडर जिनका काम टेली प्रोटर से समाचार को पढ़ाना होता है उतने दोषी नहीं माने जा सकते क्योंकि कंटेंट राइटर कंटेंट तैयार करता है, उसमें नमक मिर्च न्यूज़ रीडर लगते हैं फिर संपादक एजेंडा तैयार करता है उसके बाद आदिति त्यागी, अमन चोपड़ा, अमीश देवगन, आनंद नरसिभन , अशोक श्रीवास्तव, चित्रा त्रिपाठी, गौरव सावंत, नविका कुमार, प्राची पाराशर, रुबिका लियाकत, शिव अरुण, सुधीर चौधरी तथा सुशांत सिंन्हा अपने तीखे और धारदार शब्दों से विपक्ष को टारगेट करते हैं।

इतना ही नहीं विपक्ष के नेता उसमें खास तौर से राहुल गांधी जब प्रेस में बात करते हैं तो चैनल का संपादक मालिक और सीईओ अपने संवाददाता के व्हाट्सएप पर सवाल भेजता रहता है और दबाव डालता रहता है कि राहुल गांधी को उलझाए रखो, घेरे रखो। पाठकों को याद होगा कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक ही सवाल को तीन पत्रकारों ने बारी-बारी से राहुल गांधी से पूछा था वह सवाल था कि क्या मोदी सरनेम के जरिए आपने देश के पिछड़े वर्ग के लोगों को अपमानित नहीं किया? मतलब साफ है चूकि संवाददाता सामने होता है सवाल वही पूछता है इसलिए जब आप लगते हैं तो भी उसे ही झेलना पड़ता है। याद कीजिए आज तक के एक लाइव शो में जब गोदी मीडिया के प्रमुख चेहरा सुधीर चौधरी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से टमाटर की महंगाई को लेकर एक सीधा सा सवाल किया था। तो उनका जवाब जानते हैं क्या था? स्मृति ईरानी ने कहा था कि सुधीर जी इस तरह तो मैं भी पूछ सकती हूं कि आप जेल क्यों गए थे ?अब इस सवाल के बाद सुधीर चौधरी की क्या हालत हुई होगी इसकी कल्पना आप कर सकते हैं। यानि सम्मान होगा तो चैनल का, चैनल हेड का और अपमान होगा तो संवाददाता का, एंकर का । अब यह 14 एंकरो का अपमान नहीं तो और क्या है? कि विपक्षी गठबंधन ने एक तरह से आपके ‘शो’ का ही बहिष्कार कर दिया क्योंकि आप अपने मालिक का एजेंडा चलाना चाहते हैं और सरकार को कटघरे में खड़े करने तथा उस सवाल करने के बजाय विपक्ष से ही सवाल पूछ रहे हैं ।

यह सही है कि देश के प्रति जवाबदेही सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की है लेकिन कोई संपादक या संवाददाता सरकार से सवाल करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता है? या यह भी हो सकता है कि चैनल का मालिक इसके लिए अपने प्रतिनिधि को रोकता हो? और ना रुकने पर बाहर निकालने की धमकी देता हो? आखिर आज अगर रवीश कुमार, पुण्य प्रसून, बाजपेई आशुतोष प्रणव राय, राजदीप सरदेसाई आदि यदि चैनलों से बाहर है तो उसका कारण शायद यही रहा होगा कि उन्होंने अपने मालिक की हां मे हां नहीं मिलाया। इंडिया गठबंधन के इस ऐलान के बाद सबसे ज्यादा परेशान वही पत्रकार हैं जिनका पिछले दिनों ऑन स्क्रीन अपमान का दंश सहना पड़ा था। आज वही पत्रकार यह कहते घूम रहे हैं कि यह प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है पत्रकारों और पत्रकारिता पर अंकुश लगाने तथा उनके सवाल पूछने की अधिकार से वंचित करना है। यह वही पत्रकार हैं जिन्होंने बताया था कि दो हजार की नोट में एक ऐसी चिप लगी है जो बता देगी की नोट कितनी दूर और कितने गहरे छुपाई गई है।

अब जब दो हजार की नोट बंद हो चली है तो भाई लोग प्रश्न पूछ रहे हैं कि चिप कहां जमा करना है। पाठकों को याद होगा कि कोरोना काल में एक चैनल के हेड ने जो स्वयं समाचार भी रात को 9:00 बजे पढ़ते हैं ने बाकायदा यह घोषित कर दिया था कि कोरोना के फैलने का प्रमुख कारण क्या है? उन्होंने सीधे एक निश्चित एजेंडे के जरिए एक संप्रदाय को टारगेट किया था। उसका यह एजेंडा इतना पॉप्युलर हो गया था कि लोग मोहल्ले में सब्जी बेचने वालों की आईडी मांगने लगे थे। वैसे ऐसा नहीं है की न्यूज़ चैनलों ने अब एजेंडा चलाना बंद कर दिया है बिल्कुल नहीं बंद किया है? लेकिन इसके लिए केवल संवाददाता या एंकर ही जिम्मेदार नहीं है? जिम्मेदार चैनल हेड है, सीईओ है मालिक है क्योंकि वही यह तय करते हैं कि उनका एंकर क्या पड़ेगा, क्या बताएगा आदि। मैं तो कहता हूं कि यदि मकान के बनाने में कोई पेड़ दिक्कत कर रहा है तो उसकी टहनियां काटने से कुछ नहीं होगा? नयी टहनियां निकल आएंगी इसलिए अगर काटना है तो पेड़ को जड़ से काट दो। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।

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