नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को तमिलनाडु की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्रतिदिन 5000 क्यूबिक फुट प्रति सेकंड (क्यूसेक) से बढ़कर 7200 क्यूसेक पानी देने का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए प्रतिदिन 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने के निर्देश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक आवेदन के जरिए पानी की मात्रा बढ़ाने का अनुरोध किया था। शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु को पानी देने के कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश में यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि प्राधिकरण इस मामले में हर 15 दिन में निगरानी कर रहा है। पीठ ने यह भी कहा कि प्राधिकरण का यह आदेश खराब मानसून के कारण संकट की स्थिति, औसत प्रवाह और अन्य प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया है।
पीठ ने तमिलनाडु द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा, “ये सभी विशेषज्ञ निकायों द्वारा तय किए गए अंतरिम उपाय हैं। कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) ने कावेरी जल विनियमन समिति के फैसले को 18 सितंबर को दोहराते हुए कर्नाटक को अगले 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को 5,000 क्यूबिक फुट प्रति सेकंड (क्यूसेक) पानी जारी रखने के लिए कहा था। (वार्ता)