नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के अमृतकाल को देश के लिए हर नागरिक का कर्तव्यकाल बताते हुये रविवार को कहा कि अपने कर्तव्य को निभाते हुये भी हम अपने लक्ष्यों को पा सकते हैं। इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सोत नदी के पुनरूद्धार के लिए किये गये काम और पश्चिम बंगाल निवासी शकुनंतला सरकार का उदाहरण भी दिया। मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात की 105वीं कड़ी में राष्ट्र को संबोधित करते हुये कहा कि कर्तव्य की भावना, हम सभी को एक सूत्र में पिरोती है। उत्तर प्रदेश के सम्भल में देश ने कर्तव्य भावना की एक ऐसी मिसाल देखी है। कोई 70 से ज्यादा गाँव , हजारों की आबादी और सभी लोग मिलकर, एक लक्ष्य, एक ध्येय की प्राप्ति के लिए साथ आ जाएँ, जुट जाएँ ऐसा कम ही होता है, लेकिन, सम्भल के लोगों ने ये करके दिखाया। इन लोगों ने मिलकर जन-भागीदारी और सामूहिकता की बहुत ही शानदार मिसाल कायम की है।
उन्होंने कहा कि दरअसल, इस क्षेत्र में दशकों पहले, ‘सोत’ नाम की एक नदी हुआ करती थी। अमरोहा से शुरू होकर सम्भल होते हुए बदायूं तक बहने वाली ये नदी एक समय इस क्षेत्र में जीवनदायिनी के रूप में जानी जाती थी। इस नदी में अनवरत जल प्रवाहित होता था, जो यहाँ के किसानों के लिए खेती का मुख्य आधार था। समय के साथ नदी का प्रवाह कम हुआ, नदी जिन रास्तों से बहती थी वहां अतिक्रमण हो गया और ये नदी विलुप्त हो गई। नदी को माँ मानने वाले हमारे देश में, सम्भल के लोगों ने इस सोत नदी को भी पुनर्जीवित करने का संकल्प ले लिया। पिछले साल दिसंबर में सोत नदी के कायाकल्प का काम 70 से ज्यादा ग्राम पंचायतों ने मिलकर शुरू किया।
ग्राम पंचायतों के लोगों ने सरकारी विभागों को भी अपने साथ लिया। आपको ये जानकर खुशी होगी कि साल के पहले छह महीने में ही ये लोग नदी के 100 किलोमीटर से ज्यादा रास्ते का पुनरोद्धार कर चुके थे। जब बारिश का मौसम शुरू हुआ तो यहां के लोगों की मेहनत रंग लाई और सोत नदी, पानी से, लबालब भर गई। यहां के किसानों के लिए यह खुशी का एक बड़ा मौका बनकर आया है। लोगों ने नदी के किनारे बांस के 10 हजार से भी अधिक पौधे भी लगाए हैं, ताकि इसके किनारे पूरी तरह सुरक्षित रहें। नदी के पानी में तीस हजार से अधिक गम्बूसिया मछलियों को भी छोड़ा गया है ताकि मच्छर न पनपें। उन्होंने कहा कि सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार कर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आप भी कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने आसपास ऐसे बहुत से बदलावों का माध्यम बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब इरादे अटल हों और कुछ सीखने की लगन हो, तो कोई काम, मुश्किल नहीं रह जाता है। पश्चिम बंगाल की शकुंतला सरदार ने इस बात को बिल्कुल सही साबित करके दिखाया है। आज वो कई दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। शकुंतला जी जंगल महल के शातनाला गांव की रहने वाली हैं। लंबे समय तक उनका परिवार हर रोज मजदूरी करके अपना पेट पालता था। उनके परिवार के लिए गुजर-बसर भी मुश्किल थी। फिर उन्होंने एक नए रास्ते पर चलने का फैसला किया और सफलता हासिल कर सबको हैरान कर दिया। उन्होंने ये कमाल कैसे किया! इसका जवाब है – एक सिलाई मशीन। एक सिलाई मशीन के जरिए उन्होंने ‘साल’ की पत्तियों पर खूबसूरत डिजाइन बनाना शुरू किया। उनके इस हुनर ने पूरे परिवार का जीवन बदल दिया। उनके बनाए इस अद्भुत क्राफ्ट की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
शकुंतला जी के इस हुनर ने, न सिर्फ उनका, बल्कि, ‘साल’ की पत्तियों को जमा करने वाले कई लोगों का जीवन भी बदल दिया है। अब, वो, कई महिलाओं को प्रशिक्षण देने का भी काम कर रही हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, एक परिवार, जो कभी, मजदूरी पर निर्भर था, अब खुद दूसरों को रोजगार के लिए प्रेरित कर रहा है। उन्होंने रोज की मजदूरी पर निर्भर रहने वाले अपने परिवार को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया है। इससे उनके परिवार को अन्य चीजों पर भी ध्यान केन्द्रित करने का अवसर मिला है। एक बात और हुई है, जैसे ही शकुंतला जी की स्थिति कुछ ठीक हुई, उन्होंने बचत करना भी शुरू कर दिया है। अब वो जीवन बीमा योजनाओं में निवेश करने लगी हैं, ताकि उनके बच्चों का भविष्य भी उज्जवल हो। शकुंतला जी के जज्बे के लिए उनकी जितनी सराहना की जाए वो कम है। भारत के लोग ऐसी ही प्रतिभा से भरे होते हैं – आप, उन्हें अवसर दीजिए और देखिए वे क्या-क्या कमाल कर दिखाते हैं।(वार्ता)