नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम की आलोचना करके राजनैतिक लाभ अर्जित करने के प्रयास को मानवता के लिए शनिवार को घातक बताया और कहा कि देश का भविष्य युवाओं के योगदान और उनकी सजगता पर निर्भर करेगा। धनखड़ आज यहां संकल्प फाउंडेशन और पूर्व लोक सेवा अधिकारी संघ को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने भारतीय मूल्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा,“ समाज में परिवर्तन तब आएगा जब हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों का आदर करेंगे। भारतीयता और भारत हमारे लिए सर्वोपरि हैं और प्रत्येक व्यक्ति भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जैसी समृद्ध विरासत पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। भारत की संस्कृति पांच हजार वर्षों से भी अधिक पुरानी संस्कृति है, जो लोकाचार और मानवीय मूल्य भारत की संस्कृति में विद्यमान है जो पूरी दुनिया में किसी भी देश की संस्कृति में नहीं है। उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी उस समय भारत ने एक सौ से अधिक देशों को वैक्सीन भेज कर उनकी सहायता की। भारतीय संस्कृति का यही लोकाचार और संस्कृति की पहचान है। “वसुधैव कुटुंबकम” का सच्चा अर्थ यही है।
धनखड़ ने अन्य देशों में जाकर भारत की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बहुत अधिक प्रगति होती है तब कुछ ताकतें देश की प्रगति की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं और किसी भी हद तक जाकर आलोचना करती हैं तथा देश को बदनाम करने का कुकृत्य करती हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी वहां का मानव संसाधन है। देश की सांस्कृतिक विरासत भी एक बड़ी पूंजी होती है और सांस्कृतिक विरासत एक सौम्य शक्ति के रूप में देश की तरक्की में अपनी भूमिका निभाती है। देश के युवाओं को आगाह करते हुए धनखड़ ने कहा, कि देश के युवा राष्ट्र की उन्नति के कर्णधार हैं और भारत को विकसित बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। भारत की आबादी में युवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे देश का भविष्य देश के युवाओं के योगदान और उनकी सजगता पर निर्भर करेगा। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने वाले योद्धा युवा ही बनेंगे। सांसदों के आचरण और मर्यादा को लेकर अपनी चिंता को साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद में सांसद संवाद करेंगे, चर्चा करेंगे, गहन विचार विमर्श करेंगे और महत्वपूर्ण कानूनों के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे लेकिन वे शोर हंगामा, आरोप-प्रत्यारोप करते हैं। उन्होंने कहा,“ जिस दिन हमारे देश के युवा ठान लेंगे की चुना हुआ सांसद संविधान की अपेक्षा के अनुसार अपने कर्तव्य का पालन करेगा उस दिन हमारे सांसदों को संविधान के अनुसार आचरण करना पड़ेगा।
भारत की नई शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा नई शिक्षा नीति बदलाव का एक मुख्य कारण बनेगी। इस शिक्षा नीति के तहत युवा एक साथ कई पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी साधन यदि कोई है तो वह शिक्षा ही है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की नई शिक्षा नीति के माध्यम से समाज में एक महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी परिवर्तन होगा जो देश के शिक्षा जगत को एक नई दिशा प्रदान करेगा। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने वरिष्ठ समाजसेवी माधव विनायक कुलकर्णी “मधु भाई” को “ऋषि सम्मान” से सम्मानित किया। (वार्ता)