- जग नभ वाटिका रही है फल फूलि रे- तुलसीदास
- दिवास्वप्न मे बीत रहे रात और दिन
गोस्वामी तुलसीदास ने छ: सौ साल पहले विनय पत्रिकामे लिखा..” जग नभ वाटिका रही है फल फूलि रे। धुंआ कैसे धौरिहरि देखि तू न भूलि रे।”.. विनय पत्रिका संसार ख्याली बगीचा है देखने मे बड़ा आकर्षक। पर यह ऐसे ही है जैसे धुएं का बगूला आकाश मे देख कर बादलों का भ्रम होना। इन धुओं के बादलो से वर्षा नहीं होगी ,सिर्फ आंखोमे जलन होगी। इन्हें देख कर बादल होने का भ्रम मत करना.. भटकना मत। शरीर दिखता है,मन,बुद्धि विचार अंतरात्मा और भीतर के भाव नहीं दिखते। भीतर क्या है ?जानने के लिए व्यक्ति का व्यवहार और वाणी है। इसीलिए विना परिचय …वाणी से दिये अथवा आपका व्यवहार देखे कुछ भी पता नहीं चलता। यही ‘बॉडी लैग्वेज’ जानने के लगे साक्षात्कार किया जाता है। जिसके लिए संवाद और व्यवहार हम आंकते हैं। ताकि कुछ तो अंदाजा लगे। यद्यपि कुछ पल का इंटरव्यू भी आधा अधूरा ही होता है,क्यों कि बुराईयों को व्यक्ति छिपाने और अच्छा व्यवहार दिखाने की हर संभव कोशिश करता है।
नौकरी व पढ़ाई के लिए इंटरव्यू
आपका उठने वैठने का तरीका,कमरे मे आने पर हाव भाव को तथा बैठने का तरीक देख अच्छी तरह सम़झने के लिए कुछ लोग जो अलग अलग अलग विषय के जानकार होते हैं, इंटरव्यू मे बैठे होते है। प्रश्नावलियो से आपका विचार जानने की कोशिश होती है। भीतर जो विचार होगे उसके अनुसार आपके उत्तर भी होंगे,आपकी निगाहें भी बहुत कुछ उजागर करती है।
वर कन्या का निरीक्षण
‘एक कही बैनन अनेक कही नैनन से रही सही सोऊ कहि दीनी हिचकीनि सो।’ ऊद्धव को संदेश देने वाली गोपियों के बारे मे कहा गया। गोपियो ने एक बात जुबान से कही,फिर गला भर आया,वाणी अवरुद्ध होगई हिचकियां आने लगी आंसू गिरने लगे। इसीलिए नौकरी के लिए,पढ़ाई मे प्रवेश के लिए इंटरव्यू ( काउंसिलिंग) होता है। विवाह के लिए कन्या निरीक्षण या लड़की का पिता भाई या रिश्तैदार वर( लड़के) का निरीक्षण करते है,और सवाल जवाब करते हैं।इसी तरह लड़कियों की जांच परख की जाती है। ‘लव मैरेज’ करने वाले युवा बहुधा रंग रुप देख कर उलझ जाते हैं। शारीरिक संपर्क तक दोनो बहुत बढ़ियां व्यवहार दिखाते है ,किंतु जहां एक बार चरित्र दीवाल मे छेद हुआ,बस दरार पड़नी शुरु होजाती है। फिल लव( प्रेम) का किस्सा कंटक मय होजाता है। मारपीट झगड़ों मे बदल कर जीवन भर के लिए कंटक बन जाता है।
स्कैम मे उतरे बड़े बड़े ठग
अब तो मोबाईल मे कैमरे लगे होते हैं। आडियो वीडीयो रिकार्डिंड चुपके से होने लगे। रिकार्डिंग कर वीडियो वायरल करने का दवाब बना कल ब्लैकमेलिंग भी खूब होने लगे। जिससे बड़े बड़े लोग स्कैम मे फंसने लगे.. और तेजी से आत्महत्या और मर्डर तक होने लग गए। युवक युवतियां भावुक होते हैं,आत्म प्रदर्शन का सहज स्वभाव होता है वे तेजी से.. इस स्कैम में फंस कर बरबादी के शिकार होरहे। हमें इन सबसे सावधान रहना होगा। बच्चों को भी सावधान करना होगा। अपने बच्चों पर भी कड़ी निगाह रखें। वे इस तरह की गतिविधियों में न फंसें।
सेल्फी का क्रेज व रील बनाना
मोबाईल का एंड्रायड होना,इस छोटे से माबाईल मे बहुतेरे अप्लीकेशन डाल चुका है। जिससे छोटे चित्र को दस बीस साल बाद कैसे लगेंगे भी बताने लगा। किसी का फोटो है … बैक ग्राउंड बदल लो, साथ रहने वाले को मिटा कर किसी के साथ बिठा दो। धड़ किसी का सिर किसी का जोड़ो और एडिट कर के उसको बदनाम कर दो। इसने सेल्फी के शौकीनों और रील बनाने वालो को भी खूब आकर्षित किया हे। शहर ही नहीं गांव भी अपनी इज्जत को बलि वेदी पर स्वयं चढ़ाने के लिए तैयार बैठे हैं। ऐसे मे ये खतरों के खिलाड़ी.. अपने एप्लीकेशन के जरिये, ज्यादे फालोअर्स वालो को बढ़ाने और उत्साह वर्द्धन के लिए पैसे भी देने लगे हैं,जिससे उनका प्राडक्ट खूब बिके।रील बनाने वाले भी उनकी रील खूब वायरल हो.. इसके लिए खासे उत्साहित है। यह जीवन को सपनो मे झोंकना है। नौकरी विहीन बेरोजगारो के लिए कमाई का धंधा भी है। इसमे लोग स्वयं बरबाद करने मे हाथ धोकर लग गए हैं।