जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लोगों का एक महत्वपूर्ण व्रत है, यह व्रत जैन समुदाय के लोगों द्वारा रखा जाता है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता है। इसलिए इस व्रत को रोहिणी व्रत कहा जाता है। रोहिणी नक्षत्र के अंत में रोहिणी व्रत खोला जाता है। रोहिणी नक्षत्र की समाप्ति के बाद मार्गशीर्ष नक्षत्र आता है। रोहिणी व्रत साल में 12 होते हैं यानी हर महीने में आते हैं। फलाहार सूर्यास्त से पहले किया जाता है क्योंकि रात में खाना नहीं खाया जाता है।
मान्यता है कि यह व्रत लगातार 3, 5 या 7 साल तक किया जाता है। अगर उचित अवधि की बात करें तो यह 5 साल 5 महीने है। यह व्रत उद्यापन के साथ समाप्त किया जाता है। यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। हालाँकि यह व्रत महिलाओं के लिए अनिवार्य माना गया है। जैन समुदाय में मान्यता है कि यह व्रत विशेष फल देता है और कर्म बंधन से मुक्ति दिलाता है।
रोहिणी व्रत की पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और घर की साफ-सफाई भी अच्छे से करनी चाहिए। इसके बाद सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान कर घर की सफाई करनी चाहिए।
गंगाजल युक्त जल से स्नान-ध्यान करें और फिर व्रत का संकल्प लें।
आमचन करके स्वयं को शुद्ध करें।
सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें। जैन धर्म में इस व्रत के दौरान रात्रि भोजन करना वर्जित है। फल सूर्यास्त से पहले खाना चाहिए।
रोहिणी व्रत का पूजा मुहूर्त
बुधवार, 04 अक्टूबर 2023
रोहिणी व्रत प्रारंभ: 03 अक्टूबर 2023 रात्रि 10:22 बजे
रोहिणी व्रत समाप्त: 04 अक्टूबर 2023 रात्रि 10:44 बजे
रोहिणी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी रोहिणी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक रोहिणी व्रत महिलाएं अपने सुहाग और परिवार की सुख शांति के लिए रखती हैं। जो भी व्यक्ति रोहिणी व्रत करते हैं उन्हें सभी प्रकार के सुख मिलते हैं और दुखों से छुटकारा मिलता है।