कविता: दस अवगुण रावण रूपी

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

रावण जले, न जले, इसकी कोई
चिंता फ़िक्र बिलकुल नहीं करना,
पर हमारे अंदर श्रीराम जिंदा रहें,
इसका हर हाल में ध्यान रखना ।

सीता की अग्नि परीक्षा भी तो
सदियों से ली जाती आयी है,
सीताओं को अग्नि परीक्षा देने में
कभी हिचक तक भी नहीं आई है।

देखो ! यह अग्नि परीक्षायें अब
पूरी तरह बंद हो जानी चाहिये,
सीता का दामन पहले जैसा ही,
पाक साफ़ माना जाना चाहिये।

रावण हर साल जलाया जाता है,
और हर साल यूँ ही जलाया जाएगा,
क्योंकि श्रीराम जी ने यह सोचा होगा,
कि अब कोई रावण पैदा नहीं होगा।

पर क्या त्रेता के उस रावण के जल
जाने से रावण अन्य नही पैदा होते हैं,
कलियुग में पैदा रावण भले नहीं हों,
पर शायद हम ही रावण बन जाते हैं।

काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, ईर्ष्या,
स्वार्थ, अहंकार, अन्याय, अमानुषता,
यद्यपि यह कमियाँ रावण में भी थीं,
पर सीता लंका में पूर्ण सुरक्षित थीं।

कलियुग के रावण राम से नहीं डरते हैं,
इस युग के राम त्रेता जैसे राम नहीं हैं,
आदित्य ये दस अवगुण रावण रूपी,
जला डालें तो राम सभी बन सकते हैं।

 

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