होम्योपैथी में केवल इलाज ही नहीं, बीमारियों से बचाव की भी दवा है

लखनऊ। मानसून में बारिश में भीगने के बाद से वायरल बुखार, सर्दी-खांसी-जुकाम आम बात है। इस मौसम में मच्छर और पानी से होने वाली बीमारियों की आशंका भी बढ़ जाती है। होम्योपैथी ऐसी पद्धति है जिसमें न केवल बीमारी होने पर इलाज किया जाता है बल्कि बीमारियों से बचाव के लिए भी कुछ प्रिवेंटिव मेडिसिन भी दिए जाते हैं। जानते हैं मानसूनी बीमारियों से बचाव के लिए क्या-क्या हो सकता है। एंफ्लूएंजा से जुड़ी बीमारियों में ज्यादा असरकारी – बारिश में भीगने से हल्का बुखार, बदन दर्द या सिरदर्द हो सकता है।

इसमें डल्कामारा 30 दवा लेने से आराम मिल जाता है। वयस्क इसे दो-दो बूंद दिन में 4 बार और बच्चों को एक-एक बूंद दे सकते हैं। – मच्छरजनित बीमारियां मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू होती हैं। मच्छरों से बचाव के अलावा कुछ दवाइयां हैं जैसे कि यूप्टोरियम परफ्लोटिम, ब्रायनिया अल्बा आदि जो इनको लेकर बचाव कर सकते हैं। – पानी के दूषित होने से डायरिया-कोलेरा आदि की आशंका रहती है। इनमें उल्टी दस्त की समस्या होती है। इनमें हाइजीन का ध्यान रखना होता है। जहां शंका है कि बाहर का खाना-पानी शुद्ध नहीं है तो खाने से बचें। इसमें आर्सेनिक अल्बम 30, पोडोफाइल्म 30, वरेट्रम अल्बम 30, कैम्फोरा 30 आदि उपयोगी हैं। – मानसून में दूषित भोजन-पानी से टाइफाइड भी आम बीमारी है। इसमें संक्रमण होता है। लंबे समय तक बुखार, पेट में गंभीर दर्द, कब्ज और दस्त के साथ साथ सिरदर्द भी हो सकता है।

इसमें भी हाइजीन का ध्यान रखना होता है। साथ ही वट्रम अल्ब, बिस्मुथ, कारबो वेज आदि देते हैं। वायरल बुखार (इन्फ्लूएंजा) से बचाव के लिए आर्सेनिक अल्बम 30 की कुछ खुराक ले सकते हैं। नोट- कोई भी दवा बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लें। इससे दवा की गुणवत्ता न केवल बढ़ जाती है बल्कि उसके दुष्प्रभाव से भी बचाव हो सकता है। (BNE)

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